स्वामी ने अपने द्वारा चुने गए गंदे काम सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। रघुराम राजन आखिर अपना सामान समेटकर अपने घर लौट रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि स्वामी ने रघुराम राजन के बारे में कहा था कि वे पूरी तरह मानसिक रूप से भारतीय नहीं हैं। राजन ने यह सही सिद्ध कर दिया है। ईश्वर को इस बात के लिए धन्यवाद दिया जाना चाहिए कि लाखों सही सोचने वाले लोगों की तरह रघु भी निश्चित ही 'मानसिक रूप से पूरी तरह भारतीय नहीं हैं। यदि वे स्वामी जैसे भारतीय होते तो वे जहां तहां झूलते रहते, लोगों को खारिज करते रहते और दिल्ली दरबार में दंडवत करते रहते। रघुराम सर्वश्रेष्ठ प्रकार के भारतीय हैं जो देश के हित में सोचते हैं और वैश्विक तरीके से कार्य करते हैं।
लगता है कि सुब्रमण्यम स्वामी अपने आपको भारत के डोनाल्ट ट्रम्प तथा राजनीति के कमाल आर खान के रूप में मशहूर करने के लिए काफी जल्दबाजी में हैं। संभव है कि उनके पास डोनाल्ट ट्रम्प से कहीं ज्यादा धन हो। लेकिन ट्रम्प के सिर पर उनकी अपेक्षा कहीं ज्यादा बाल हैं। अलबत्ता दोनों में एक चीज कॉमन है कि उनके सिर बड़े हैं। कमाल आर खान बॉलीवुड के चर्चित व्यक्ति हैं। कोई भी व्यक्ति निश्चित रूप से यह नहीं जानता कि कमाल खान आखिर करते क्या हैं? लेकिन वे लगातार दूसरों पर जुबानी हमले करते रहते हैं। स्वामी और खान उन लोगों के खिलाफ ट्वीट करके ही फलते फूलते हैं। जिन्हे वे पसंद नहीं करते। इनमें कोई भी व्यक्ति शामिल हो सकता है। हैडलाइन बटोरने की वजह से हुए अपमान के कारण वे संसद में 'आइटम नंबर बन चुके हैं जबकि इनमें से दूसरा व्यक्ति विक्रम भट्ट को इस हद तक नाराज करने में सफल रहा है कि विक्रम को उसके खिलाफ मुकदमा करना पड़ा। भट्ट ने तो गरजते हुए कहा था 'गंदगी से लडऩे के लिए में भी गंदगी बन जाऊंगा यह सिद्ध करने के लिए कि वे वास्तव में इस मामले में गंभीर हैं, खान के सभी गंदे ट्वीट उन्हें दोहराये हैं। इस प्रक्रिया में उन्होंने खान द्वारा निशान बनाई गई बॉलीवुड की सुंदर अभिनेत्रियों का अपमान दुगना कर दिया है। क्या इसका कोई मतलब है। मैलापुर के सुब्रमण्यम स्वामी (वे वहां जन्मे हैं) को अंतत: भारत के हैडमास्टर नरेंद्र मोदी ने अपने पसंदीदा व्यक्ति के रूप में चुन लिया है। हालांकि इसमें काफी देर हो गई।
स्वामी ने अपने द्वारा चुने गए गंदे काम सफलता पूर्वक पूरे किए हैं। रघुराम राजन आखिर अपना सामान समेटकर अपने घर लौट रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि स्वामी ने रघुराम राजन के बारे में कहा था कि वे पूरी तरह मानसिक रूप से भारतीय नहीं हैं। राजन ने यह सही सिद्ध कर दिया है। ईश्वर को इस बात के लिए धन्यवाद दिया जाना चाहिए कि लाखों सही सोचने वाले लोगों की तरह रघु भी निश्चित ही 'मानसिक रूप से पूरी तरह भारतीय नहीं हैं। यदि वे स्वामी जैसे भारतीय होते तो वे जहां तहां झूलते रहते, लोगों को खारिज करते रहते और दिल्ली दरबार में दंडवत करते रहते। दुर्भाग्य से यही 'टिपीकलÓ भारतीय मानसिकता है। रघुराम सर्वश्रेष्ठ प्रकार के भारतीय हैं जो देश के हित में सोचते हैं और वैश्विक तरीके से कार्य करते हैं। शायद उनकी यही प्रमुख 'कमी है। रघुराम राजन के खिलाफ अपने लक्ष्य को पा लेने के बाद स्वामी ने अन्य 'खतरोंÓ पर अपनी बंदूक तान दी है।
यह अप्रत्याशित ही था कि उनकी गंदगी फैलाने की क्षमता काफी उजागर हो गई और उन्हें अचानक पदावनत कर दिया। प्रधानमंत्री की तीखी सार्वजनिक झिड़की ने उन्हें फिलहाल उनकी वर्तमान हैसियत में पहुंचा दिया है। लेकिन उनके द्वारा की गई क्षति तो हो चुकी है। राजन जहां से आए थे, वहां जाने वाले हैं। अरुण जेटली इस पर आश्चर्य चकित हैं। राजन का स्थान कौन लेगा इस चर्चा के बीच यह सही समय है कि आरबीआई का गर्वनर किसी महिला को बनाया जाए। महिलाएं बहुत ही समझदारी से तथा शानदार तरीके से धन तथा धन से संबंधित मामलों को देखती हैं। एक महिला जरूरी आर्थिक सुधारों को अधिक सख्ती से लागू कर सकती है।
परिणामों की परवाह किए बिना वह पूरी क्षमता तथा निष्ठा के साथ कार्य करेगी और राजन ने जो काम शुरू किया था उसको अंजाम तक पहुंचाएगी। इस तरह की निर्भीक तथा ताजगीभरी सोच ही भारत को मुश्किलों से बाहर निकालेगी। प्रिय सुब्रमण्यम स्वामी कृपया अपने व्याकरण की अशुद्धियों से भरे ट्वीट्स से अरुणधंति भट्टाचार्य की जिंदगी को दूभर न बनाएं।
- प्रस्तुति -
सर्वदमन पाठक
समाचार संपादक
दैनिक जागरण भोपाल