Thursday, January 16, 2020

शोभा डे कालम

सियासत के नए मुहावरे गढ़ती मिमी


मैैंने हाल ही संपन्न हुए कोलकाता फेस्टिवल में गार्डन पार्टियों में आने वाले व्यक्तियों जैसी फ्लोटी, फ्लावर प्रिंट वाली ड्रेस तथा उससे मैच करती आरेंज हील चप्पल पहने एक युवती के पीछे फोटोग्र्राफरों को भागते देखा तो मैैंने उस युवा हस्ती को एक मिनट में ही पहचान लिया। वह जादवपुर की तृणमूल कांग्र्रेस सांसद मिमी चक्रवर्ती थीं जो मंच पर ‘सफलता और सुख’ पर भाषण देने जा रही थीं। वे इतनी अच्छी तरह से ग्र्रूम्ड तथा शानदार मेक अप में थीं कि मैैं उनकी ओर टकटकी लगाकर देखने से खुद को रोक नहीं पाईं। मुझे उन पलों का बरबस ही स्मरण हो आया जब वे दूसरी तृणमूल कांग्र्रेस सांसद नुसरत जहां के साथ पहली बार संसद भवन पहुंची थीं। वे  उस समय पारंपरिक वेषभूषा से अलग मैचिंग पेंट और शर्ट धारण किये हुए थीं और पूरी तरह से सहज नजर आ रही थीं। मैैंने उन्हें तारीफ की दृष्टि से देखा और महिलाओं के सहज व्यवहार पर प्रसन्न हो गई।
अब कोलकाता फेस्टिवल की बात करें तो मिमी बिना किसी बनावट एवं लागलपेट के अपनी शुरुआती जिंदगी तथा सफलता का उनके लिए क्या मतलब है-इसके बारे में बात कर रही थीं। कुछ शुरुआती पंक्तियों में बैठे लोग उनकी हर टिप्पणी पर तालियां बजा रहे थे। वे किसी परिपक्व राजनीतिज्ञ  की तरह उस मंत्रमुग्ध भीड़ को अपनी बातों से आश्वस्त कर रही थीं। गौरतलब है कि बंगाली सिनेमा में कई हिट फिल्में देने वाली मिमी अभी सिर्फ 30 साल की हैैं और राजनीति में वे अभी नई ही हैैं। वे संघर्षपूर्ण प्रचार अभियान के फलस्वरूप अच्छे मतों से चुनाव जीती हैैं और उन्होंंने अपने विरोधियों को निरुत्तर करते हुए यह सिद्ध कर दिया है कि उन्हें एक जनमत सर्वे में ‘2016 की सबसे पसंदीदा महिला’ में शुमार किया गया था, वे उससे भी कहीं ज्यादा काबिल हैैं। आज वे काफी व्यस्त सेलेब्रिटी हैैं जो अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से सतत संपर्क बनाए रखती हैैं, संसद की बैठकों में भाग लेती हैैं, अन्य कार्यक्रमों में जाती हैैं और एक्टिंग में भी हिस्सा लेती हैैं। वे अपने तरीके से जिंदगी जीती हैैं और ऐसा ही करना पसंद करती हैैं। वे खुद को अपने पालतू कुत्ते का अभिभावक मानती हैैं। वे बताती हैैं कि जब वे दिन भर की व्यस्तताओं के बाद घर पहुंचती हैैं तो वह पालतू जानवर गर्मजोशी से उनका स्वागत करता है।
जब मैैंने सुख और सफलता पर उनके विचार सुने तो मुझे यह जानने में दिलचस्पी हुई कि वे अपनी प्राथमिकताओं में इतनी आसानी से कैसे संतुलन बिठा लेती हैैं। जलपाईगुडी में अपने पेरेंट्स को छोडक़र  अपनी किस्मत आजमाने कोलकाता आई इस हस्ती ने पहले मॉडलिंग भी की है। उन्होंने अपनी उम्मीदें पूरी करने के लिए संघर्ष किया, फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाई और सख्त दिखने वाली ममता दीदी को उन्होंने इस कदर प्रभावित किया कि उन्हें मिमी की स्टार पावर पर भरोसा हो गया और उन्होंने मिमी को जादवपुर जैसी महत्वपूर्ण सीट पर टीएमसी प्रत्याशी बना दिया।
मिमी कोई सुंदर चेहरे वाली गुडिय़ा नहीं हैैं लेकिन फेस्टिवल में लोगों के मूड को भांपते हुए अपने विचार रखे और प्रत्येक व्यक्ति के प्रश्नों का भी संतोषजनक उत्तर दिया। उनकी गर्मजोशी तथा सलीके से संवारी गई जीवन शैली को देखते हुए कोई भी यह अनुमान लगा सकता है कि वे राजनीति में लंबी पारी खेलने  वाली हैैं। मैैं यह सुनकर अचंभित हो गई कि उन्हें केक बनाना पसंद है।
मिमी ने अपनी शुरुआती जिंदगी के बारे में भावुकतापूर्ण लहजे में बताया कि पहले उन्हें लोगों का उतना सहयोग नहीं मिला। उन्होंने बताया कि जब वे शुरुआत में स्कूल में दाखिल हुईं तो वे बेहद रोमांचित थीं। उनकी मां के पास पुस्तक खरीदने के भी पर्याप्त पैसे नहीं थे लेकिन उन्होंने किसी तरह इतनी राशि का प्रबंध किया। उन्होंने बताया कि उन्हें जब 15000 रुपये का पहला पेमेंट  मिला तो वे इतनी  रोमांचित थीं कि उन्होंने बार बार इसे गिना। जब वे अपने संघर्ष के दिनों की याद कर रही थीं तो उनकी आंखों में बच्चों जैसा आश्चर्य का भाव था और वे अपनी आंसुओं को पोंछ रही थीं।
वाह मिमी...आपने कई रूढिय़ों को इतनी जल्दी तोड़ा है। संसद में साड़ी के बदले पेंट पहनकर जाने का आपका फैसला आपके व्यक्तित्व के बारे में खुद ही सब कुछ बयां कर देता है। आप सभी के प्यार एवं सम्मान की पात्र हैैं।

प्रस्तुति: सर्वदमन पाठक

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