Thursday, January 16, 2020

यंग इंडिया की मेगास्टार है दीपिका

यह ऐसा विरला ही सप्ताह रहा जब विश्व की दो अलग अलग जगह की ग्लेमर से भरपूर दो हस्तियां सुर्खियों में छाई रहीं और इससे हंगामा भी हुआ। इन हस्तियों के कार्यकलाप को लेकर परस्पर विरोधी नजरिये की बाढ़ सी आ गई। दीपिका ने जेएनयू की विरोध प्रदर्शन रैली में पहुंचकर हड़ताली छात्रों के समर्थन का संकेत दिया जो बॉलीवुड की खामोश ब्रिगेड के अनुसार बिना सोच विचार के उठाया गया कदम था। दीपिका ने सिर झुकाकर तथा हाथ जोडक़र जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष के प्रति काफी सम्मान प्रदर्शित किया। उस समय आइशी के सिर पर पट्टी बंधी हुई थी और फ्रेक्चर हुए हाथ में पïट्टा चढ़ा हुआ था।  उन्हें केंपस के अंदर नकाबपोश गुंडों ने बुरी तरह पीटा था और वे छात्र विद्रोह का चेहरा बनकर उभरी हैैं। इन दो महिलाओं की मुलाकात की फोटो प्रत्येक बड़े समाचार पत्र में प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित हुई हैं।
उधर हजारों मील दूर ससेक्स की डचेस मेगन मार्कल ने ऐसा कुछ किया कि लोग स्तब्ध रह गए। उन्होंने अपने पति प्रिंस हैरी के साथ रॉयल ड्यूटीज से खुद को हटा लेने की घोषणा की जिस पर उनके कदम में छिपी मंशाओं को लेकर मेल्स का तूफान आ गया। इस पर टिप्पणी करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति खुद को अधिकृत मान रहा था। इन दोनों के पतियों ने भी इन महिलाओं का जबर्दस्त समर्थन किया। रणबीर सिंह ने दीपिका की प्रशंसा एवं प्यार की ऐसी भावुकतापूर्ण पोस्ट भेजी कि अनगिनत पत्नियां ‘आह’ भरकर रह गईं। उन्होंने अपनी सुपरस्टार पत्नी द्वारा किये गए कार्य को सही ठहराते हुए तथा उसके विश्वास के साथ दृढ़ता से खड़े रहते हुए उस पर गर्व प्रदर्शित किया। उधर मेगन को प्रिंस द्वारा दिये गए हीरो जैसे समर्थन ने यह प्रमाणित कर दिया कि ब्रिटिश राजगद्दी के छठवीं पीढ़ी के वंशज इस प्रिंस के पास फौलादी संकल्पशक्ति है। अलबत्ता यह निर्णय उन दोनों का था और इस दंपति का कहना था कि अपने पुत्र के हितों को देखते हुए उन्होंने यह फैसला किया है। लेकिन इसके लिए प्रिंस को अपनी 93 वर्षीय ग्र्रेंडमदर का गुस्सा झेलना पड़ेगा क्योंकि आखिरकार वे इंग्लैैंड की महारानी हैैं।
कहा जा रहा है कि दीपिका द्वारा प्रसिद्धि तथा व्यक्तिगत उपलब्धि के लिए जेएनयू मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है। मैैं इस राय से सहमत नहीं हूं। राजनीति में बॉलीवुड के लोगों की हिस्सेदारी हमेशा ही रही है। यदि आप इसमें शामिल होंगे तो भी आलोचना होगी और नहीं होंगे तो भी आलोचना होगी। इसमें इस बात का कोई मतलब नहीं है कि दीपिका ने अपनी नवीनतम फिल्म के प्रचार के लिए इसे पब्लिसिटी स्टंट के तौर पर इस्तेमाल किया। उसे यह अच्छी तरह मालूम था कि जेएनयू रैली में उसकी उपस्थिति आकर्षण का कारण बनेगी। मुद्दा यह है कि उसने इसका साहस किया जबकि अन्य किसी फिल्मी हस्ती ने ऐसा नहीं किया। उसने इसका जोखिम उठाया और उसकी उपस्थिति ने कई प्रसिद्ध लोगों के घंटों चले भाषण की तुलना में कहीं ज्यादा असर डाला। दीपिका ने  एक स्टैैंड लिया। इसके लिए गट्स चाहिए। उसका यह फैसला प्रतिगामी असर भी डाल सकता था और उसे इससे हानि हो सकती थी। इसकी प्रतिकूल प्रतिक्रिया शुरू भी हो गई है। उसे सरकार के ‘स्किल इंडिया’ वीडियो से हटाया जा चुका है। यह भी केवल शुरुआत है लेकिन उसने छात्रों के साथ खड़े होने का रास्ता चुना और उससे यह कोई भी नहीं छीन सकता।
यह बहुत कठोर और गलत तरीका है कि सेलेब्रिटीज को राजनीतिक मामलों में इस्तेमाल किया जाए या उन्हें सामाजिक जिम्मेदारियों के मामले में लेक्चर पिलाया जाए। हम सब वही करते हैैं जो हमारी अंतरात्मा कहती है।
सिनेमा के दर्शकों में भारी संख्या में छात्र तथा करोड़ों मजदूर वर्ग के लोग शामिल हैैं। बॉलीवुड की नई पीढ़ी के कलाकारों ने इस बात को समझ लिया है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि वरुण धवन, रिचा चड्ढ़ा तथा कई अन्य बॉलीवुड स्टार्स ने जेएनयू के प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है। यह स्मार्ट थिंकिंग है। दीपिका युवा भारत की नजर में बहुत बड़ी अभिनेत्री है। कई साल बाद जब इस ऐतिहासिक जेएनयू  रैली का जिक्र होगा, दीपिका की इसमें हिस्सेदारी इसके नैरेटिव का अहम हिस्सा होगी। मेरा विश्वास कीजिए कि कोई भी व्यक्ति इसका स्मरण या परवाह नहीं करेगा कि बॉलीवुड़ के किस मेगा स्टार ने इसमें हिस्सा नहीं लिया या चुप्पी साध ली।
सर्वदमन पाठक

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