Tuesday, June 29, 2010

मध्याह्नï भोजन में छिपकली!

प्रदेश में आंगनबाड़ी के बच्चों को दिये जाने वाले भोजन में किस कदर जानलेवा लापरवाही बरती जाती है, सतना में हुई घटना इस बात की ही गवाही देती है। इस घटना के तहत सतना की एक आंगनबाड़ी में पढऩे वाले बच्चों को दूषित और संभवत: विषाक्त खीर परोस दी गई जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। आंगनबाड़ी की बच्चियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस खीर को बनाने में इस कदर लापरवाही बरती गई कि खीर में एक छिपकली पक गई और इसी खीर को बच्चों को परोस दिया गया। इसका हश्र यह हुआ कि बच्चों को जान के लाले पड़ गए और अस्पताल में भरती करने पर ही इन बच्चों पर से यह संकट टल सका। ऐसी ही एक घटना श्योपुर जिले में हुई जहां दूषित पोहा आंगनबाड़ी के बच्चों को परोस दिया गया और इससे बीमार हुए कुछ बच्चों का एक निजी चिकित्सालय में उपचार किया गया तब उनकी हालत में सुधार हो सका। दूषित भोजन आंगनबाड़ी में परोसे जाने के मामले अन्य आंगनबाड़ी में भी सामने आए हैैं। ये मामले विरले नहीं है बल्कि पिछले वर्षों में जब तब मध्यान्ह भोज में दूषित एवं विषाक्त खाना परोसे जाने की शिकायतें आती रही हैैं। गांवों एवं दूरदराज के इलाकों मेंं तो ये शिकायतें आम ही हैैं लेकिन राजधानी एवं उसके आसपास के स्कूल एवं आंगनबाडिय़ों में भी इस तरह की कई खबरें अखबारों एवं न्यूज चैनलों की सुर्खियां बनी हैैं जहां प्रदेश सरकार एवं प्रशासन के आला अफसर सतत मौजूद रहते हैैं। कमोवेश हर बार ऐसी घटनाएं सामने आने पर जांच की घोषणा की जाती है और जांच की औपचारिकता भी की जाती है लेकिन फिर इनकी रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है और ये घटनाएं नए सिरे से होने लगती है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि या तो मध्यान्ह भोजन योजना से जुड़े लोगों को राजनीतिक नेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होता है या फिर उन्हें बचाने के लिए नेता एवं अफसर सक्रिय हो जाते हैैं। लेकिन मध्यान्ह भोजन में धांधली एक सामाजिक अपराध ही है और इसे इसी नजर से देखा जाना चाहिए। सरकार को ऐसी घटनाओं पर काफी सख्त रुख अपनाना चाहिए और इन घटनाओं की गहराई से जांच करा कर उनमें उत्तरदायी व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई करना चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाओं से सरकारी योजनाओं के प्रति लोगों में भरोसा घटता है। जब तक सरकार मध्यान्ह भोजन में गड़बड़ी करने वालों पर ऐसे दंड की कार्रवाई नहीं करता जो अन्य लोगों के लिए भी नजीर बने तब तक इन पर अंकुश लगना नामुमकिन ही होगा और सरकार इस योजना की नाकामी के दायरे में आती रहेगी।-सर्वदमन पाठक

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