ताकत की भाषा समझता है पाकिस्तान
सर्वदमन पाठक
नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा दो भारतीय सैनिकों की हत्या तथा एक का सिर काटकर अपने साथ ले जाने की दरिंदगीपूर्ण घटना से सारे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई है। सीमा पर तैनात सैनिकों में इसे लेकर कितनी नाराजी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पिछले दो दिनों से कुछ खाया पिया तक नहीं है। वे बस चाहते हैैं कि
किसी भी हालत में पाकिस्तान से इसका बदला लिया जाए। इस बर्बर घटना के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किये जा रहे हैैं, जो इस बात का परिचायक है कि देश का मानस पाकिस्तान को उसकी इस जघन्य करतूत का मुंहतोड़ जवाब देने के पक्ष में है। पाकिस्तान का यह दुस्साहस इसलिए हुआ है क्योंकि हमारी सरकार पाकिस्तान के साथ संबंधों का सामान्यीकरण और शांति का राग अलापती रही है। पाकिस्तान के शीर्ष पंक्ति के नेता तक भारत में आकर भड़काने वाले बयान देते हैैं और हम उसे नजरंदाज कर देते हैैं। हम उनके साथ क्रिकेट खेलने तथा बालीवुड के जरिये द्विपक्षीय ताल्लुकात को मजबूत बनाने की बात करते हैैं और पाकिस्तानी सेना संघर्षविराम का लगातार उल्लंघन करती रहती है। हम वीजा नियम शिथिल करने की वकालत करते हैैं और पाकिस्तान दहशतगर्दों के जरिये भारत के खिलाफ प्राक्सी युद्ध चलाता रहता है। हम दुनिया के सामने यह दावा कर करके अपनी पीठ थपथपाते रहते हैैं कि हम पाकिस्तान के साथ अमन की स्थापना में काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैैं, उधर पाकिस्तान विश्व के तमाम मंचों पर कश्मीर का राग अलापने से बाज नहीं आता। यह तो हमारी सरकार की कमजोर पाक नीति की इंतहा ही है कि कारगिल युद्ध के दौरान पकड़े गए सौरभ कालिया सहित पांच सैन्य अफसरों तथा सैन्यकर्मियों के शव अंग भंग कर वह भारत को सौंप देता है और हमारी सरकार पाकिस्तान के साथ शांति और मोहब्बत की पींगें बढ़ाती रहती है।
यह कौन नहीं जानता कि पाकिस्तान दहशतगर्दों की घुसपैठ द्वारा भारत में अशांति फैलाना चाहता है। इस घटना के एक सप्ताह पहले ही दुर्दांत आतंकवादी हाफिज सईद नियंत्रण रेखा के आसपास घूमता देखा गया था जिससे यही संकेत मिलता है कि इस दरिंदगी भरी घटना के पीछे उसका हाथ हो सकता है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना तथा आतंकवादियों की सांठगांठ कोई नई बात नहीं है, इसलिए भी इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस घटना के लिए पाकिस्तानी सैनिकों को उसने ही उकसाया हो। सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि आततायी पाकिस्तान शांति की भाषा समझने वाला नहीं है। उसे ताकत की भाषा ही समझ में आती है। भारत को पाकिस्तान की इन घृणित करतूतों से निपटने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए उसके खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे और इसकी झलक सीमा पर दिखनी चाहिए। नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा जब तब की जाने वाली संघर्षविराम के उल्लंघन की कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमारी सेनाओं को छूट दी जानी चाहिए और यदि इसके लिए जरूरत हो तो नियंत्रण रेखा पार करने की छूट भी सेना को होनी चाहिए। सरकार को विश्व विरादरी में पाकिस्तान को अलग थलग करने पर अपना ध्यान केंद्रित चाहिए और सीमा पर पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस से निपटने का काम सेना को सौंपा जाना चाहिए।
सर्वदमन पाठक
नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा दो भारतीय सैनिकों की हत्या तथा एक का सिर काटकर अपने साथ ले जाने की दरिंदगीपूर्ण घटना से सारे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई है। सीमा पर तैनात सैनिकों में इसे लेकर कितनी नाराजी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पिछले दो दिनों से कुछ खाया पिया तक नहीं है। वे बस चाहते हैैं कि
किसी भी हालत में पाकिस्तान से इसका बदला लिया जाए। इस बर्बर घटना के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किये जा रहे हैैं, जो इस बात का परिचायक है कि देश का मानस पाकिस्तान को उसकी इस जघन्य करतूत का मुंहतोड़ जवाब देने के पक्ष में है। पाकिस्तान का यह दुस्साहस इसलिए हुआ है क्योंकि हमारी सरकार पाकिस्तान के साथ संबंधों का सामान्यीकरण और शांति का राग अलापती रही है। पाकिस्तान के शीर्ष पंक्ति के नेता तक भारत में आकर भड़काने वाले बयान देते हैैं और हम उसे नजरंदाज कर देते हैैं। हम उनके साथ क्रिकेट खेलने तथा बालीवुड के जरिये द्विपक्षीय ताल्लुकात को मजबूत बनाने की बात करते हैैं और पाकिस्तानी सेना संघर्षविराम का लगातार उल्लंघन करती रहती है। हम वीजा नियम शिथिल करने की वकालत करते हैैं और पाकिस्तान दहशतगर्दों के जरिये भारत के खिलाफ प्राक्सी युद्ध चलाता रहता है। हम दुनिया के सामने यह दावा कर करके अपनी पीठ थपथपाते रहते हैैं कि हम पाकिस्तान के साथ अमन की स्थापना में काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैैं, उधर पाकिस्तान विश्व के तमाम मंचों पर कश्मीर का राग अलापने से बाज नहीं आता। यह तो हमारी सरकार की कमजोर पाक नीति की इंतहा ही है कि कारगिल युद्ध के दौरान पकड़े गए सौरभ कालिया सहित पांच सैन्य अफसरों तथा सैन्यकर्मियों के शव अंग भंग कर वह भारत को सौंप देता है और हमारी सरकार पाकिस्तान के साथ शांति और मोहब्बत की पींगें बढ़ाती रहती है।
यह कौन नहीं जानता कि पाकिस्तान दहशतगर्दों की घुसपैठ द्वारा भारत में अशांति फैलाना चाहता है। इस घटना के एक सप्ताह पहले ही दुर्दांत आतंकवादी हाफिज सईद नियंत्रण रेखा के आसपास घूमता देखा गया था जिससे यही संकेत मिलता है कि इस दरिंदगी भरी घटना के पीछे उसका हाथ हो सकता है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना तथा आतंकवादियों की सांठगांठ कोई नई बात नहीं है, इसलिए भी इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस घटना के लिए पाकिस्तानी सैनिकों को उसने ही उकसाया हो। सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि आततायी पाकिस्तान शांति की भाषा समझने वाला नहीं है। उसे ताकत की भाषा ही समझ में आती है। भारत को पाकिस्तान की इन घृणित करतूतों से निपटने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए उसके खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे और इसकी झलक सीमा पर दिखनी चाहिए। नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा जब तब की जाने वाली संघर्षविराम के उल्लंघन की कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमारी सेनाओं को छूट दी जानी चाहिए और यदि इसके लिए जरूरत हो तो नियंत्रण रेखा पार करने की छूट भी सेना को होनी चाहिए। सरकार को विश्व विरादरी में पाकिस्तान को अलग थलग करने पर अपना ध्यान केंद्रित चाहिए और सीमा पर पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस से निपटने का काम सेना को सौंपा जाना चाहिए।
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