बासित की इस हरकत पर कोई भारतीय भरोसा नहीं करेगा
शोभा डे ब्लॉग सेमैैं एक शानदार होटल में आनंदिता के साथ कैपुसिनो की चुस्कियां ले रही हूं। यह मां-बेटी के साथ समय बिताने का भव्य अवसर है। हम लोग चर्चा कर रहे हैैं कि और क्या मंगाया जाए। तभी मेरा सेल फोन लगातार बजने लगता है। तभी एक मित्र रिपोर्टर मुझे इस संबंधी जानकारी उपलब्ध कराते हैैं। वे बताते हैैं कि भारत- स्थित पूर्व पाकिस्तानी हाई कमिश्नर अब्दुल बासित ने अपने देश के एक ब्लॉगर को दिये इंटरव्यू में दावा किया है कि उसने कश्मीर मुद्दे पर एक विशेष तरह का (पाकिस्तान समर्थक)लेख लिखने के लिए मुझे प्रभावित किया था। उसने मेरे कॉलम में लिखे गए कुछ हिस्सों को उद्धृत करते हुए इस लेख का श्रेय खुद को दिया है। मेरा पहला रिस्पांस यह था कि मैैं इस मामले को पूरी तरह खारिज करूं और इस पर खास तौर पर ट्रोल आर्मी द्वारा की जा रही गंदी तथा धमकी भरी टिप्पणियों पर आगे कोई प्रतिक्रिया नहीं दूं। लेकिन इस तरह के कॉल्स मेरे पास आते चले गए तो मुझे लगा कि यह क्या हो रहा है? यह अब्दुल बासित कौन है और किस बारे में बात कर रहा है? दरअसल 27 जनवरी 2019 को जयपुर के रामबाग पैलेस होटल के लॉन में आयोजित एक साहित्योत्सव के स्वागत समारोह में मैैंने अपने पति के साथ हिस्सा लिया था। हम लोग अपने कुछ मित्रों, जिनमें लेखक, प्रकाशक तथा संपादक शामिल थे, के साथ गपशप कर रहे थे तभी अचानक व्हिस्की का टंबलर लिए हुए एक व्यक्ति वहां आ गया और कुछ ज्यादा ही दोस्ताना अंदाज में हम लोगों के साथ बातचीत करने लगा। कुछ समय बाद हम लोगों के समूह की गुस्से भरी बातों को सुनकर वह सिर झुकाकर वहां से चला गया। हम लोगों के बीच कुल तीन मिनिट की बात हुई। यह मेरी और बासित की पहली और अंतिम मुलाकात थी। और उसकी हिमाकत देखिये कि आज वह मुझे 'इंफ्लुएंसÓ करने की बात कर रहा है। वह झूठ बोल रहा है। वह संबंधित वीडियो में जिस कॉलम की बात कर रहा है, वह 2016 में लिखा गया था। अपने मुंह से बकवास करने के पहले उसने अपना होमवर्क तो सही तरीके से कर लिया होता।
सवाल यह है कि फिर मैैं यह प्रतिक्रिया क्यों दे रही हूं? इसकी वजह यह है कि इस सिलसिले में अपना दामन साफ रखना महत्वपूर्ण है। उसका आरोप गंभीर और खतरनाक है। मेरी चुप्पी का यह मतलब होगा कि मैैं उसके असत्य को चुनौती देने की इच्छा नहीं रखती। इसलिए एएनआई के अनुरोध पर मैैंने एक मिनिट के वीडियो में अपनी प्रतिक्रिया दी जिसे भीड़ भरे मॉल में आनंदिता ने शूट किया। इसके बाद तो ट्रोल आर्मी और सक्रिय हो गई। मुझे बताया गया कि मेरा नाम भारत के उन 300 लेखकों, चिंतकों में शामिल है जो आईएसआई के 'पे रोलÓ पर हैैं। ये लोग पाकिस्तान के लिए काम करते हैैं और भारत विरोधी नीतियों का समर्थन करते हैैं। ये आरोप काफी विस्फोटक हैैं और इन आरोपों का पूरी ताकत से खंडन किया जाना चाहिए। हकीकत यह है कि धारा 370 के मुद्दे पर विश्व का जनमत पाकिस्तान के खिलाफ है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी तक को यह स्वीकार करना पड़ा है कि पाकिस्तान के लोग मूर्खों की दुनिया में रह रहे हैैं। बासित ने सोचा होगा कि जब पाकिस्तान की विश्वसनीयता बुरी तरह गिर गई है, तो वह अचानक मेरा नाम उछालकर लोगों का ध्यान वास्तविकता से भटका देगा। लेकिन ऐसा हो नहीं सकेगा। मुझ पर कई आरोप लग सकते हैैं लेकिन किसी ने भारत के प्रति मेरी निष्ठा को कभी चुनौती नहीं दी। हां, यह सच है कि मेरा व्यक्तित्व और विचार स्वतंत्र हैैं लेकिन मैैं किसी राजनीतिक दल से चुड़ी नहीं हूं। मैैं जो महसूस करती हूं, वही कहती हूं। यह मेरा अधिकार है कि मैैं विचारों के मुताबिक किसी सरकार को चुनौती दूं या उसकी आलोचना करूं, चाहे कोई भी सरकार सत्ता में हो। यह एक नागरिक का विशेषाधिकार है और मैं इसे छोड़ नहीं सकती, चाहे जो भी हो। लेकिन यह अब्दुल बासित मुझे डिसक्रेडिट करने वाला कौन होता है। कौन इस झूठे व्यक्ति पर भरोसा करेगा। मेरे विचार खुले हैैं और यह सभी को मालूम है। मेरे फोन टेप करो, मेरे ईमेल हैक करो, जब भी मैैं बाहर निकलूं तो मेरा पीछा करो, सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर मेरी बातों की छानबीन करो, मेरा लैपटॉप ले लो लेकिन मेरे शर्मिंदा होने या मुंह छिपाने लायक इसमें कुछ भी नहीं मिलेगा। इसलिए अब्दुल बासित, तुमने गलत महिला से पंगा लिया है। तुम्हारी बात पर कोई भी भरोसा नहीं करेगा। इससे अच्छा होता कि तुम अपने देश पर ध्यान देते कि वहां क्या गड़बड़ी हो रही है। देश किसी भी राजनीतिक पार्टी सेे शक्तिशाली है और मैैं जिन बातों पर भरोसा करती हूं, उनके लिए पूरी शिद्दत से लड़ती रहूंगी। अब्दुल बासित, यदि तुम सोचते हो कि तुम इस तरह की हरकतों से जीत जाओगे तो यह तुम्हारी भूल है। इसलिए अच्छे बच्चे की तरह पाकिस्तानी जनरल्स से सॉरी कहो और उनसे आग्र्रह करो कि वे तुम्हारा पॉकेट मनी न काटें।
प्रस्तुति: सर्वदमन पाठक
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