यौन उत्पीडऩ हंसी का विषय नहीं है गृहमंत्री जी
सर्वदमन पाठक
महिलाओं की यौन यंत्रणा के मामले में देश में प्रथम पायदान तक पहुंच जाने की शर्मनाक उपलब्धि हासिल कर लेने वाले मध्यप्रदेश में एक बार फिर चाइल्ड सेक्स और मर्डर का सनसनीखेज मामला सामने आया है। राज्य में आये दिन होने वाले छेड़छाड़ तथा बलात्कार के हादसे से यह मामला इस मायने मेें भिन्न है कि यह वारदात गृहमंत्री के बंगले से चंद कदम की दूरी पर घटित हुई है जहां कठोर सुरक्षा व्यवस्था की अपेक्षा होती है। इस आठ साल की इस बच्ची को न केवल किसी व्यक्ति ने अपनी हवस का शिकार बनाया बल्कि काफी नृशंस तरीके से उसकी हत्या कर दी गई। हमारी राजधानी पुलिस की लापरवाही का यह आलम है कि उसे इतनी भयावह घटना की भनक तक नहीं लगी। अलबत्ता घटना की जानकारी मिलने के बाद उसने अपराधी के बारे में जानकारी देने वाले को एक लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया।
दरअसल यह किसी बच्ची के यौन उत्पीडऩ , बलात्कार तथा मर्डर का अकेला वाकया नहीं है जिससे भोपाल पुलिस शर्मसार हुई है। राजधानी में कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब ऐसी दिल दहला देने वाली घटनाएं न होती हैैं लेकिन पुलिस की अकर्मण्यता के चलते इन घटनाओं पर रोक के बजाय उनमें इजाफा ही होता जा रहा है। जहां तक सरकार की बात है, उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा हृदय प्रदेश देश में महिला यौन उत्पीडऩ के मामले में सबसे बदनाम है, बल्कि गृहमंत्री यह कहते हुए अपनी पीठ थपथपाते रहते हैैं कि चूंकिसरकार ने पुलिस को ऐसी हर घटना को पंजीकृत करने तथा उस पर कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैैं इसलिए ये आंकड़े काफी बढ़े हुए प्रतीत होते हैैं। हालांकि हकीकत यह है कि पुलिस आज भी यौन यंत्रणा की शिकार कई महिलाओं एवं बच्चियों को बिना रिपोर्ट दर्ज किये लौटा देती है। सरकार ऐसे मामलों में कितनी संवेदनहीन है इसे राज्य सरकार के रुतबेदार मंत्री विजय शाह द्वारा हाल में एक कन्या छात्रावास में दिये गए उस बयान से बखूबी समझा जा सकता है जिसमें कहा गया था कि छात्रावास की बच्चियों की सुरक्षा का सरकार ने कोई ठेका लेकर नहीं रखा है। गृहमंत्री के बंगले के पास हुई इस घटना से लोग इतने क्षुब्ध हैैं कि वे सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर चुके हैैं। विपक्ष ने भी इस घटना को भुनाने के लिए गृहमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन किया है और राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। इस पर गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता बेफिक्री के अंदाज में कहते हैैं कि उनका इस्तीफा मांगना विपक्ष का अधिकार है, आखिर वे भी पूर्व के तीस सालों में विपक्ष की भूमिका अदा करते हुए कई बार इस तरह की मांग कर चुके हैैं। विपक्ष की मांग को ठुकराने का उनका यह अंदाज गंभीर मसलों को भी मजाक में उड़ा देने की उनकी जेहनियत को दर्शाता है लेकिन महिला उत्पीडऩ पर लगातार बढ़ रहे जनता के आक्रोश को वे इस तरह हंसी में नहीं उड़ा सकते क्योंकि इस साल के अंत में ही होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में सरकार को इसी जनता का सामना करना है।
पुलिस का दावा है कि वह उक्त नृशंस मामले की गुत्थी को सुलझाने के करीब पहुंच गई है। उम्मीद यही है कि पुलिस जल्द से जल्द इस मामले पर से पर्दा उठा सकती है। सच तो यह है कि गृहमंत्री के बंगले के करीब होने वाली इस वारदात पर मीडिया की नजरें टिकी होने के कारण ही पुलिस ने इसका पर्दाफाश करने में इतनी दिलचस्पी ली है वरना ऐसे बहुत सारे मामले हैैं जिनके आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैैं।
नारी के सम्मान के लिए बड़े बड़े कदम उठाने का दावा करने वाली सरकार को यदि वास्तव में अपनी राज्य में महिलाओं की गरिमा की रक्षा की इतनी ही चिंता है तो उसे महिलाओं के यौन उत्पीडऩ की घटनाओं को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकनी होगी। दिल्ली गेंगरेप कांड के बाद देश में महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए आई जागरूकता के परिप्रेक्ष्य में जरूरी है कि राज्य सरकार भी इस जागरूकता को आगे बढ़ाते हुए ऐसे तमाम मामलों में पुलिस एवं प्रशासन की जवाबदेही तय करे तथा उन पर कठोर कार्रवाई करे और इसके साथ ही समाज में नारी की सुरक्षा का माहौल बनाने के प्रभावी प्रयास करे।
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