कोलार: असुविधाओं से मुक्ति की बेताबी
सर्वदमन पाठक
कोलारवासियों को अंतत: काफी इंतजार के बाद राज्य सरकार की ओर से एक अत्यंत ही बेशकीमती तोहफा मिलने जा रहा है। कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव द्वारा कोलार नगर पालिका को भोपाल नगर निगम में विलय करने की सिफारिश राज्य सरकार के पास भेज देने के साथ ही अब इसकी अधिसूचना जारी होने की औपचारिकता ही शेष रह गई है जो शीघ्र पूरी होने की उम्मीद है। दो लाख की आबादी वाले कोलार क्षेत्र के विकास को नई गति देने वाले इस कदम से क्षेत्रवासियों का उत्साहित होना स्वाभाविक है लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस विलय का स्वरूप क्या होगा। प्राप्त संकेतों के अुनसार शुरुआती तौर पर यहां नगर निगम की ओर से नोडल अधिकारी की नियुक्ति होने की संभावना है। यह कदम इसके विकास में मील का पत्थर सिद्ध होगा क्योंकि इससे क्षेत्रवासियों को वे कई सुविधाएं मिल सकेंगी जिससे अभी तक वे वंचित रहे हैैं।
यह बात सर्वविदित है कि पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र ने शहरवासियों की आवास संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सराहनीय योगदान दिया है। एक दशक के भीतर ही कोलार बड़े बड़े कालोनाइजरों का कार्यक्षेत्र बन गया है। अब कोलार के दूरस्थ क्षेत्रों में प्रतिष्ठित कालोनाइजरों द्वारा इतनी विशाल एवं सुंदर कालोनियां विकसित की गई हैैंं जिसकी दो वर्ष पूर्व कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। लेकिन सुविधाओं के अभाव में लोग वहां निवास के लिए आकर्षित नहीं हो पा रहे हैैं। बहुत सारे वे लोग जिन्होंने इन कालोनियों में मकान या फ्लेट बुक कर लिये हैैं, वे भी अब सुविधाहीनता की स्थिति में उन्हें बेचने को मजबूर हो रहे हैैं। हालांकि सिटी लिंक बसें वहां दूर दूर तक जाने लगी हैैं इसलिए लोगों की आवागमन संबंधी असुविधा कुछ हद तक दूर हुई है लेकिन अभी ऐसे तमाम कारण हैैं जो इन कालोनियों के आबाद होने में रोड़ा बने हुए हैैं। मसलन यहां अच्छी सड़कें अभी भी नहीं बन पाई हैैं जिनसे कालोनियों में लोगों को आने जाने में काफी कठिनाई होती है। यहां प्रकाश व्यवस्था भी अपर्याप्त है जो लोगों की परेशानी का एक बड़ा कारण है। नगर निगम से सीधे तौर पर जुडऩे से इन असुविधाओं से कोलार वासियों को निजात मिलेगी, यह उम्मीद स्वाभाविक रूप से की जा सकती है।
कोलारवासियों की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। कमोवेश पूरे कोलार क्षेत्र में गर्मी के मौसम में पानी के लिए त्राहि त्राहि मच जाती है। कोलार की पुरानी बस्तियों में यह समस्या कुछ ज्यादा ही विकट है और जहां तहां टेंकरों से जलापूर्ति यहां की आम बात है। कोलारवासियों की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि कोलार पाइप लाइन भोपाल शहर के एक बड़े हिस्से की प्यास तो बुझाती है लेकिन कोलार के लोग ही इसके पानी से वंचित हैैं। इसी वजह से कोलार में पानी के लिए जब तब आंदोलन होते रहते हैैं और इस बहाने कई नेताओं की नेतागिरी चमकती रहती है।
भोपाल नगर निगम में कोलार नगर पालिका के विलय से इस क्षेत्र के बाशिंदों को जल समस्या से निजात मिलने की पूरी पूरी उम्मीद है क्योंकि तब क्षेत्रवासियों को जल उपलब्ध कराना नगर निगम की जिम्मेदारी होगी।
इसके अलावा कोलारवासियों को राज्य की राजधानी के बाशिंदे होने का गर्व भी इस कदम से महसूस हो सकेगा। भोपाल की पहचान देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में है और कोलार भी इस गौरव का हिस्सा बन सकेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब इस दिशा में कोई सियासी दांवपेंच आड़े नहीं आएंगे।
सर्वदमन पाठक
कोलारवासियों को अंतत: काफी इंतजार के बाद राज्य सरकार की ओर से एक अत्यंत ही बेशकीमती तोहफा मिलने जा रहा है। कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव द्वारा कोलार नगर पालिका को भोपाल नगर निगम में विलय करने की सिफारिश राज्य सरकार के पास भेज देने के साथ ही अब इसकी अधिसूचना जारी होने की औपचारिकता ही शेष रह गई है जो शीघ्र पूरी होने की उम्मीद है। दो लाख की आबादी वाले कोलार क्षेत्र के विकास को नई गति देने वाले इस कदम से क्षेत्रवासियों का उत्साहित होना स्वाभाविक है लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस विलय का स्वरूप क्या होगा। प्राप्त संकेतों के अुनसार शुरुआती तौर पर यहां नगर निगम की ओर से नोडल अधिकारी की नियुक्ति होने की संभावना है। यह कदम इसके विकास में मील का पत्थर सिद्ध होगा क्योंकि इससे क्षेत्रवासियों को वे कई सुविधाएं मिल सकेंगी जिससे अभी तक वे वंचित रहे हैैं।
यह बात सर्वविदित है कि पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र ने शहरवासियों की आवास संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सराहनीय योगदान दिया है। एक दशक के भीतर ही कोलार बड़े बड़े कालोनाइजरों का कार्यक्षेत्र बन गया है। अब कोलार के दूरस्थ क्षेत्रों में प्रतिष्ठित कालोनाइजरों द्वारा इतनी विशाल एवं सुंदर कालोनियां विकसित की गई हैैंं जिसकी दो वर्ष पूर्व कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। लेकिन सुविधाओं के अभाव में लोग वहां निवास के लिए आकर्षित नहीं हो पा रहे हैैं। बहुत सारे वे लोग जिन्होंने इन कालोनियों में मकान या फ्लेट बुक कर लिये हैैं, वे भी अब सुविधाहीनता की स्थिति में उन्हें बेचने को मजबूर हो रहे हैैं। हालांकि सिटी लिंक बसें वहां दूर दूर तक जाने लगी हैैं इसलिए लोगों की आवागमन संबंधी असुविधा कुछ हद तक दूर हुई है लेकिन अभी ऐसे तमाम कारण हैैं जो इन कालोनियों के आबाद होने में रोड़ा बने हुए हैैं। मसलन यहां अच्छी सड़कें अभी भी नहीं बन पाई हैैं जिनसे कालोनियों में लोगों को आने जाने में काफी कठिनाई होती है। यहां प्रकाश व्यवस्था भी अपर्याप्त है जो लोगों की परेशानी का एक बड़ा कारण है। नगर निगम से सीधे तौर पर जुडऩे से इन असुविधाओं से कोलार वासियों को निजात मिलेगी, यह उम्मीद स्वाभाविक रूप से की जा सकती है।
कोलारवासियों की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। कमोवेश पूरे कोलार क्षेत्र में गर्मी के मौसम में पानी के लिए त्राहि त्राहि मच जाती है। कोलार की पुरानी बस्तियों में यह समस्या कुछ ज्यादा ही विकट है और जहां तहां टेंकरों से जलापूर्ति यहां की आम बात है। कोलारवासियों की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि कोलार पाइप लाइन भोपाल शहर के एक बड़े हिस्से की प्यास तो बुझाती है लेकिन कोलार के लोग ही इसके पानी से वंचित हैैं। इसी वजह से कोलार में पानी के लिए जब तब आंदोलन होते रहते हैैं और इस बहाने कई नेताओं की नेतागिरी चमकती रहती है।
भोपाल नगर निगम में कोलार नगर पालिका के विलय से इस क्षेत्र के बाशिंदों को जल समस्या से निजात मिलने की पूरी पूरी उम्मीद है क्योंकि तब क्षेत्रवासियों को जल उपलब्ध कराना नगर निगम की जिम्मेदारी होगी।
इसके अलावा कोलारवासियों को राज्य की राजधानी के बाशिंदे होने का गर्व भी इस कदम से महसूस हो सकेगा। भोपाल की पहचान देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में है और कोलार भी इस गौरव का हिस्सा बन सकेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब इस दिशा में कोई सियासी दांवपेंच आड़े नहीं आएंगे।
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