Wednesday, February 3, 2010

कही-अनकही

इनका कहना है-
शिवसेना की यह थ्योरी खतरनाक है कि मुंबई सिर्फ महाराष्टिï्रयनों की है। देश की यह आर्थिक राजधानी सभी की है और सभी भारतवासियों को मुंबई में रहने और वहां काम करने का हक है। आईपीएल में भाग लेने वाले आस्ट्रेलियाई एवं पाकिस्तानी खिलाडिय़ों को शिवसेना की धमकी के परिप्रेक्ष्य में उन्हें केंद्र पूर्ण सुरक्षा की गारंटी देता है।पी चिदंबरम, केंद्रीय गृहमंत्री..........................................
मुंबई सभी भारतवासियों की है। समूचा भारत सभी भारतवासियों का है और वे कहीं भी जाकर अपनी आजीविका कमा सकते हैं। हमारी भाषा, जाति, उपजाति अथवा जनजाति अलग अलग हो सकती है लेकिन हम सभी भारतमाता के पुत्र हैं। यह धारणा गलत है कि बाहरी लोगों के कारण महाराष्टï्र में नौकरियां कम हो गई हैं और इसका समाधान अवश्य निकाला जाना चाहिए लेकिन इसका यह समाधान कतई नहीं है कि बाहरी लोगों यहां आने से रोक दिया जाए।
मोहन भागवत, सरसंघचालक, राष्टï्रीय स्वयंसेवक संघ
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मुंबई मराठी मानुस की है। राष्टï्रीय स्वयंसेवक संघ महाराष्टï्र की राजधानी के बारे में कोई दखलंदाजी न करे और हमें देशभक्ति एवं राष्टï्रीय एकता का पाठ न पढ़ाये। मुंबई के 92 के दंगों के दौरान हिंदुओं की रक्षा शिवसेना ने ही की थी, उस समय संघ कहां था।उद्धव ठाकरे, कार्यकारी अध्यक्ष शिवसेना
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लोग क्या सोचते हैं?
यह विचार ही अलगाववादी सोच का प्रतीक है कि मुंबई सिर्फ मराठियों की है। दरअसल मुंबई देश का ही एक हिस्सा है और संविधान के अनुसार देश के अन्य हिस्सों की तरह मुंबई में भी किसी भी देशवासी को रहने और आजीविका कमाने का हक है। आजकल विश्व में सबसे खूबसूरत एव समृद्ध शहरों में शुमार मुंबई के वर्तमान स्वरूप के निर्माण में सिर्फ मुंबईवासियों ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले भारतीयों की मेधा तथा खून पसीने का भी काफी बड़ा योगदान है। शिवसेना अपने स्थापनाकाल से ही वोटों की राजनीति के कारण खुद को मराठियों के सबसे बड़े हितरक्षक के रूप में प्रचारित करती रही है लेकिन अब परिस्थतियां बदल चुकी हैं और शिवसेना को शायद यह अंदाजा नहीं है कि मुंबई का जनसंख्यात्मक स्वरूप इतना बदल गया है कि सिर्फ मराठियों के हित की बात करने से उसे राजनीतिक हानि के अलावा और कुछ हासिल होने वाला नहीं है। इतना ही नहीं, अब उनके ही भतीजे के नेतृत्व में बनी महाराष्टï्र नवनिर्माण सेना भी शिवसेना की ही तर्ज पर मराठी वोट बैंक की राजनीति कर रही है जिसकी वजह से इस वोट बैंक में भी खासा विभाजन हो चुका है। शिवसेना को यदि अपने राजनीतिक उत्कर्ष को पुन: प्राप्त करना है तो उसे अब सर्वग्राही राजनीति करनी होगी तभी वह मुंबई सहित महाराष्टï्र में अपनी राजनीतिक पताका फहरा सकेगी अत: मुंबई,महाराष्टï्र एवं समूचे राष्टï्र ही नहीं बल्कि खुद के हित में शिवसेना को अपना नजरिया बदलना चाहिए और मुंबई के सिलसिले में अपनी उक्त हठधर्मिता को छोड़ देना चाहिए।

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