Wednesday, July 7, 2010

बीमार अस्पताल, बेहाल मरीज

मध्यप्रदेश देश का हृदय प्रदेश है और स्वाभाविक रूप से यह अपेक्षा की जाती है कि यह प्रदेश राज्य के वर्तमान एवं भविष्य के प्रति अधिक संवेदनशील होगा। कहते हैैं कि बच्चे हमारा भविष्य, हमारा कल हैैं। गत दिवस घटी कुछ घटनाएं यह संकेत करती हैैं कि प्रदेश अपने इस कल के प्रति समुचित चिंता तथा समुचित संवेदनशीलता के प्रदर्शन मेंं नाकाम रहा है। विदिशा के कुरवाई अस्पताल में एक गर्भवती महिला के प्रसव की जिम्मेदारी न निभाने का मसला हो, या फिर भोपाल के दो अस्पतालों मेंं बच्चा वार्ड में लगी आग अथवा बिजली गुल रहने का मामला, इन सभी घटनाओं से यही संकेत मिलता है। ये हादसे क्रमश: जेपी अस्पताल तथा सुल्तानिया अस्पताल में हुए जिनमें से जेपी अस्पताल में शार्ट सर्किट से लगी आग ने बच्चा वार्ड(सिक न्यू बार्न केयर यूनिट) को अपनी चपेट में ले लिया और सारे वार्ड में धुआं भर जाने से स्थिति चिंताजनक हो गई। उस समय इस बच्चा वार्ड में 17 बच्चे भर्ती थे। यदि आनन फानन में 11 बच्चों को उनकी मां के हवाले नहीं किया गया होता और तीन अपेक्षाकृत गंभीर बच्चों को प्रायवेट वार्ड में शिफ्ट नहीं किया जाता तो वहां इन नवजात शिशुओं का जीवन खतरे में पड़ सकता था। उधर सुल्तानिया अस्पताल में जेनरेटर में विस्फोट होने से आग लग गई और पूरा अस्पताल कई घंटे तक अंधेरे में डूबा रहा। ऐसे ही अंधेरे मेंं बच्चों का इलाज चलता रहा। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक केबिल फटने से यह नौबत आई। लेकिन इसे सिर्फ हादसे मानकर उपेक्षित कर देना कतई उचित नहीं होगा क्योंकि रखरखाव में कमी भी इस हादसों के लिए जिम्मेदार है। और यह रखरखाव जिस प्रबंधन की जिम्मेदारी है, उन्हें इन हादसों की जवाबदेही से कतई मुक्त नहीं किया जा सकता। जब भोपाल में जहां पूरी सरकार तथा उसके आला अफसर मौजूद रहते हैं, उनकी नाक के नीचे ऐसे हादसे हो सकते हैं तो फिर अन्य जिलों के दूरदराज इलाकों में अस्पतालों के रखरखाव की क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। इन अस्पतालों में डाक्टरों एवं चिकित्सा सुविधाओं की कमी भी किसी से छिपी नहीं है। राज्य सरकार जब तब यह दावे करती रही है कि वह राज्य के लोगों की जिंदगी तथा सेहत को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है लेकिन उक्त घटनाएं उसके दावों को झुठलाती नजर आती हैं। संभव है कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग का समुचित सहयोग सरकार को न मिलने से यह स्थिति बनी हो लेकिन यदि वह अपने ही विभागों से समुचित क्षमता के साथ काम नहीं ले पाती तो इसके लिए राज्य सरकार खुद ही जिम्मेदार है। राज्य सरकार को उक्त हादसों पर सख्त रुख अपनाना चाहिए और इनकी पूरी पूरी छानबीन कराना चाहिए ताकि इन घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके क्योंकि राज्य के लोगों की सेहत की रक्षा करना राज्य सरकार की बुनियादी जिम्मेदारी है।
-सर्वदमन पाठक

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