Monday, July 6, 2009

हादसा या साजिश?


सिंगरौली के वैढन कस्बे में निजी बारूद फैक्टरियों में हुई विस्फोट की घटनाओं ने न केवल प्रदेश के इस अहम कोयला उत्पादक क्षेत्र में रहने वाले लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं बल्कि समूचे प्रदेश में भी सनसनी फैला दी है। इस हादसे में वैसे तो 10 श्रमिकों के मरने की पुष्टिï हुई है लेकिन अपुष्टï खबरों के मुताबिक इस हादसे में पचास से भी अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है जबकि सैकड़ों अन्य लोग जख्मी हुए हैं। यह संभवत: पहली घटना है जिसमें एक ही स्थान पर स्थित बारूद फैक्टरियों में विस्फोट में इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे गए हों। इस घटना से उक्त बारूद फैक्टरियों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है। आम तौर पर ऐसे कारखानों की स्थापना के लिए समुचित सुरक्षा सबसे अहम शर्त होती है और इन सुरक्षा शर्तों को पूरा किये बिना ये कारखाने स्थापित नहीं किये जा सकते। सवाल यह है कि क्या इन कारखानों की स्थापना के पूर्व ये सुरक्षा शर्तें पूरी की गई थीं और क्या इसे सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन के अधिकारियों ने निरीक्षण किया था। इस विस्फोट से तो यही लगता है कि इस फैक्टरियों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे और यह फैक्टरी इन सुरक्षा संबंधी मापदंडों को पूरा किये बिना ही चल रही थी। यह सही है कि यह बात अभी सिर्फ संदेह के स्तर पर ही है और वास्तविकता को जानने के लिए इस समूचे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच होनी जरूरी है लेकिन सिर्फ सुरक्षा का मामला ही इस मामले में चिंता का विषय नहीं है। इस हादसे में जितने बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है और जितने श्रमिकों की जानें गई हैं उससे यह भी संदेह उपजता है कि यह किसी तोडफ़ोड़ का अंजाम तो नहीं है। यह एक तथ्य है कि पिछले कुछ सालों से विंध्य क्षेत्र में नक्सलवादी गतिविधियों में इजाफा हुआ है। इस घटना से यह संदेह पुष्टï ही हुआ है। इस घटना की जांच में इस पहलू को भी शामिल किया जाना भी जरूरी है क्योंकि यह सिर्फ इन फैक्टरियों की सुरक्षा से जुड़ा मामला नहीं है बल्कि इससे क्षेत्र के आम लोगों की सुरक्षा भी जुड़ी है जो कि कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। अभी लालगढ़ में जो कुछ हुआ वह सभी के सामने है। लालगढ़ में नक्सलवादियों ने, जिन्हें माओवादियों के रूप में जाना जाता है, अपने पैर रातों रात नहीं जमाये बल्कि कई वर्षों से वहां माओवादियों की गतिविधियां चल रही थीं और राज्य सरकार उसकी लगातार अनदेखी करती रही। इसका ही यह परिणाम हुआ कि उन्हें हटाने के लिए सेना के प्रयोग करने की जरूरत आ पड़ी। विंध्य प्रदेश में फिलहाल नक्सलवादियों की गतिविधियां शुरुआती अवस्था में हैं। जरूरत इस बात की है कि क्षेत्र के लोगों की समस्याओं पर गौर किया जाए और उनके हल के लिए कदम उठाए जाएं ताकि ये लोग नक्सलवादियों के हाथ में न खेलें।इस हादसे की गंभीरता को देखते हुए सरकार से यही उम्मीद है कि वह इसकी गहराई से जांच कराए और इसके निष्कर्षों के अनुरूप कार्रवाई करे ताकि इस दुखद हादसे की पुनरावृत्ति न हो।
सर्वदमन पाठक

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