मध्यप्रदेश में शक्कर व्यापारियों के गोदामों पर छापे की कार्रवाई शक्कर के दाम बढऩे की आशंकाओं पर लगाम लगाने के इरादे से की जा रही है। राज्य सरकार की इस कार्रवाई को इतने प्रभावी तरीके से चलाया जा रहा है जो शिवराज सरकार के कार्यकाल के लिए अभूतपूर्व ही माना जा सकता है। अभी तक इस कार्रवाई में करोड़ों रुपए की शक्कर पकड़ी गई है जो इस अभियान की व्यापकता को अपने आप ही बयां करती है। इस संबंध में राजनीतिक दबाव को भी राज्य सरकार ने पूरी तरह से दरकिनार कर अपनी इच्छाशक्ति का परिचय दिया है। यह विरोधाभास ही है कि जहां राज्य सरकार शक्कर जमाखोरों पर बेखौफ तरीके से कार्रवाई कर रही हैं वहीं केंद्रीय कृषिमंत्री शरद पवार शक्कर के मूल्यों में आने वाले दिनों में वृद्धि की आशंका जाहिर कर व्यापारियों को मनोवैज्ञानिक लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। पवार यह बात जिस आधार पर कह रहे हैं, वह अभी विश्वासपूर्वक नहीं कहा जा सकता। पवार का मानना है कि इस वर्ष देश के एक बड़े हिस्से में सूखा पडऩे की संभावना है और इस स्थिति में गन्ने की फसल में कमी आ सकती है लेकिन अभी तो बारिश के मौसम का कम से कम एक माह शेष है इसलिए अभी से ऐसी आशंका व्यक्त करना विवेकपूर्ण नहीं है। इस संबंध में काबिले गौर है कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा है कि इस माह के अंत तक मानसून फिर सक्रिय हो सकता है। वैसे भी यह रणनीतिक रूप से दोषपूर्ण है कि इस तरह से मूल्यवृद्धि की आशंका व्यक्त कर लोगों को आक्रांत किया जाए। राज्य सरकार ने जमाखोरों पर कार्रवाई का जो अभियान छेड़ा है वह अन्य राज्यों के लिए नजीर हो सकता है। अभी जरूरत इस बात की है कि सभी राज्य सरकारें अपने अपने राज्यों में पूरी ताकत के साथ जमाखोरों एवं मुनाफाखोरों के खिलाफ छापे की कार्रवाई करें ताकि अवैध ढंग से दबाकर रखी गई शक्कर जब्त की जा सके। यह कार्रवाई सिर्फ शक्कर व्यापारियों पर ही नहीं बल्कि सभी खाद्यान्न एवं जरूरी वस्तुओं के व्यापारियों पर की जाए ताकि कालाबाजारी की संभावना खत्म हो और इसकी प्रतिक्रियास्वरूप भावों में गिरावट आ सके क्योंकि मूल्यवृद्धि ने लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है। केंद्र सरकार ने हालांकि इस संबंध में राज्य सरकारों को निर्देश दिये हैं लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलने वाला है। इस संबंध में केंद्र को समुचित मानीटरिंग करना चाहिए ताकि इसे गति मिल सके। इसके अलावा यदि केंद्र सरकार यदि खाद्यान्न एवं शक्कर जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं के बारे में मूल्यवृद्धि का हौवा न खड़ा करे तो जनता के ज्यादा हित में होगा।
-सर्वदमन पाठक
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