Monday, August 3, 2009

'सांस्कृतिक पुलिसिंगÓ की बेजा कोशिश


भारतीय संस्कृति को अपने नजरिये से परिभाषित करने तथा उसके अनुरूप सामाजिक आचरण के लिए उत्तेजनापूर्ण मुहिम चलाते रहने के लिए बजरंग दल एवं उनके करीबी संगठन पहले से ही अपनी अलग पहचान रखते हैं। इधर राज्य में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद वैचारिक समानता के कारण उनके इस जुनून को काफी बढ़ावा मिला है। कान्हा फन सिटी में रेन डांस के दौरान हुआ हंगामा इसी जुनून का एक नमूना है। इस सनसनीखेज घटनाक्रम में संस्कृति बचाओ मंच के लगभग सौ कार्यकर्ताओं ने रेन डांस को बंद करने की मांग करते हुए पथराव कर वहां अफरातफरी फैला दी। इसके बाद पहुंचे बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने अव्यवस्था की रही सही कसर पूरी कर दी। इन कार्यकर्ताओं को इस बात पर ऐतराज था कि इसमें मुंबई से बार बालाएं बुलाई गई हैं और इसमें बिना अनुमति के शराब परोसी जा रही है। पुलिस मूकदर्शक बनी इस घटना को देखती रही और उसने बजरंग दल एवं संस्कृति बचाओ मंच के हिंसा पर उतारू कार्यकर्ताओं को नियंत्रित करने की कोई कोशिश नहीं की। अलबत्ता पुलिस ने जिस ताबड़तोड़ तरीके से फन सिटी के दर्शकों एवं आयोजकों से पूछताछ कर हड़कंप मचाया उससे दर्शकों में भगदड़ अवश्य मच गई। थाने में भी इन कार्यकर्ताओं का हंगामा तब तक शांत नहीं हुआ जब तक कि उनके दोनों आरोपों को पुलिस ने नकार नहीं दिया। पुलिस ने अपनी पूछताछ में पाया कि इस आयोजन में शराब परोसने की अनुमति बाकायदा प्रशासन द्वारा दी गई थी और इस रेन डांस में भाग लेने वाली मुंबई की बार गर्ल नहीं बल्कि भोपाल की रहने वाली लड़कियां थीं। इस रेन डांस पर यह ऐतराज अवश्य हो सकता है कि ये डांस काफी अश्लील था और बजरंग दल कार्यकर्ताओं की इस दलील में कुछ भी गलत नहीं है कि रेन डांस अथवा अन्य किसी नाम पर किये जाने वाले अश्लील डांस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। यदि वे मानते हैं कि इससे समाज में विकृतियां फैलने का खतरा होता है तो यह उनका हक है कि वे इसे रोकने के लिए कानून संगत तरीके से कोशिश करें। मध्यप्रदेश में ऐसी सरकार है जो कि उनके जैसे ही वैचारिक सांचे में ढली है। वे अपनी इस विशिष्टï स्थिति का फायदा उठाते हुए उनकी नजर में अश्लील एवं भारतीय संस्कृति को लज्जित करने वाले किसी भी कार्यक्रम पर पाबंदी लगवा सकते हैं बशर्ते कि यह कार्रवाई कानून सम्मत एवं न्यायसंगत हो। लेकिन इसके लिए कानून हाथों में लेना कहां तक उचित है? आखिरकार ऐेसे उत्पात से राज्य सरकार की ही छवि धूमिल हो रही है अत: राज्य सरकार को ऐसी गैरकानूनी तथा हिंसक हरकतों पर अंकुश लगाने के लिए चाक चौबंद व्यवस्था के निर्देश देने चाहिए। पुलिस को भी अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाना चाहिए। यदि ऐसे कार्यक्रम कानून के अनुरूप न हों सामाजिक विद्रूपता को बढ़ावा देने वाले हों तो उन पर रोक लगाने की कार्रवाई बिना हिचक के की जानी चाहिए लेकिन किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
-सर्वदमन पाठक

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