भोपाल की पहचान इसकी झीलों से जुड़ी है और पिछले साल इस पहचान पर मंडराते संकट को सभी ने देखा है। बड़ी झील के करीब से गुजरते किसी भी भोपालवासी के मन में इसके अभूतपूर्व रूप से सिकुड़े स्वरूप को देखकर टीस सी उठती थी। इस वर्ष इंद्रदेव ने पिछले तीन सालों की अपेक्षा ज्यादा मेहरबानी की है और इसके फलस्वरूप झीलें काफी हद तक भरी नजर आने लगी हैं। उम्मीद यही है कि इस बारिश में भोपाल के बड़े तालाब की पुरानी रंगत लौट आएगी लेकिन पिछले वर्ष के जल संकट ने हमें झीलों के महत्व का अहसास बखूबी करा दिया है। यह दुखद ही है कि जो झीलें भोपाल को जीवन देती हैं, नए मास्टर प्लान मेें उनके अस्तित्व पर ग्रहण लगने का पूरा पूरा प्रबंध किया जा रहा है। विशेषत: पुराने भोपाल के लिए जल के सबसे बड़े स्रोत बड़ी झील के आसपास के क्षेत्र को मास्टर प्लान में लो डेंसिटी एरिया घोषित करने के फलस्वरूप यहां आबादी बढऩे एवं भवन निर्माण के विस्तार का रास्ता साफ हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यह झील के लिए संकट का सबसे बड़ा सबब बन जाएगा। यही वजह है कि झीलों के संरक्षण पर आयोजित परिचर्चा में सभी वक्ताओं ने इसे लेकर अपनी चिंता का इजहार किया है। दरअसल बड़ी झील का लगातार सिकुड़ता स्वरूप सिर्फ अल्पवर्षा ही एक मात्र कारण नहीं है। पिछले तीन दशकों से उन क्षेत्रों में लगातार बस्तियों और इमारतों का निर्माण होता रहा है जो कभी बड़ी झील के जलग्रहण क्षेत्र हुआ करते थे। इसके फलस्वरूप इसका आकार लगातार सिकुड़ता गया है। भले ही कोई भी पार्टी की सरकार रही है लेकिन सरकार, नौकरशाहों, बिल्डरों तथा व्यवसायियों की मिलीभगत के कारण इसपर कभी अंकुश नहीं लग पाया। इसी तरह इसके आसपास की सड़कों पर यातायात भी अनियंत्रित रहा है जिससे इसमें प्रदूषण लगातार बढ़ा है। वर्तमान सरकार इस मामले में कोई अपवाद नहीं है। हाल के वर्षों में झील के संरक्षण की बातें तो काफी जोर शोर से की गई हैं लेकिन हम उल्टी दिशा में ही चलते दिखे हैं। झील में स्टीमर चलाने की योजना इसी अदूरदर्शिता का प्रमाण है जिससे झील में प्रदूषण का फैलना अवश्यंभावी है। अब मास्टर प्लान में बड़ी झील के आसपास के क्षेत्र को कम डेंसिटी का क्षेत्र घोषित करने की योजना इसी सिलसिले की अगली कड़ी है जिससे बिल्डरों तथा भूमाफियाओं की पौबारह हो जाएगी लेेेकिन भोपाल की यह अमूल्य धरोहर का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य सरकार को सद्बुद्धि आएगी और वह मास्टर प्लान पर पुनर्विचार कर बड़ी झील के आसपास के क्षेत्र को लो डेंसिटी एरिया घोषित करने के बदले इसके जलग्रहण क्षेत्र को खाली कराने की पहल करेगी ताकि यह झील भोपालवासियों के लिए जीवनदायिनी की भूमिका यों ही निभाती रहे।
-सर्वदमन पाठक
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