Thursday, September 10, 2009

शिक्षक के नाम पर कलंक

अभी कुछ दिनों पहले शिक्षक दिवस पर देश में शिक्षकों का प्रशस्ति गान एवं सम्मान किया गया और भारतीय संस्कृति के परिवेश में शिक्षकों की महत्ता को रेखांकित किया गया। इस दिन भोपाल एवं लखनऊ में उन पर लाठीचार्ज किये जाने की चौतरफा निंदा की गई। नई पीढ़ी को सही दिशा दिखाने वाले पथप्रदर्शक के रूप में उसकी महिमा को कम करके नहीं आंका जा सकता लेकिन हाल के कुछ महीनों मेें शिक्षकों ने कुछ ऐसे कृत्य किये हैं उससे उनकी इस छवि को जबर्दस्त धक्का लगा है। इस सिलसिले में कटनी के एक गांव में हुई ताजा घटना इसी सिलसिले की एक कड़ी मानी जा सकती है। इस घटना में नशे में धुत्त एक शिक्षक ने दूसरी कक्षा के छात्रों को नग्रावस्था में नाचने को मजबूर किया और एक छात्र ने जब इसे मानने से मना कर दिया तो उसके साथ शिक्षक ने अप्राकृतिक कृत्य करने की कोशिश की। उस गांव के लोगों की बात माने तो यह उसकी अकेली ऐसी हरकत नहीं थी बल्कि वह पहले भी छात्रों को पिकनिक के बहाने जब तब घुमाने ले जाता रहा है और उनसे अश्लील हरकतें करने की कोशिश करता रहा है। यह बात अलग है कि शिक्षक के डर से छात्रों को इसका भंडाफोड़ करने की हिम्मत नहीं हो पाई। प्रदेश एवं देश के विभिन्न हिस्सों में कुछ माहों से ऐसी घटनाएं आती रही हैं जो शिक्षकों को शर्मसार करती रही हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व ही एक शिक्षक ने अपनी छात्राओं की यूनिफार्म के लिए अपने हाथों से नाप लेने की लज्जास्पद हरकत की थी। छतरपुर में तो एक शिक्षक द्वारा छात्रा के साथ बलात्कार का मामला तक सामने आया है। इन घटनाएं यह प्रदर्शित करने के लिए काफी है कि शिक्षक के एक वर्ग का जबर्दस्त अवमूल्यन हो चुका है। इन शिक्षकों ने अपने कारनामों से अपनी शिक्षक विरादरी को ही कलंकित कर दिया है। वक्त का तकाजा है कि शिक्षकों की पुरानी प्रतिष्ठïा को पुनस्र्थापित करने के लिए इनके चयन प्रणाली में आमूल चूल परिवर्तन किया जाए और ऐसे लोगों को शिक्षक के अहम पद पर नियुक्त किया जाए जो सांस्कृतिक दृष्टिï से इसकी गरिमा का निर्वाह कर सकें। शिक्षकों के तौर तरीकों एवं आचरण का लगातार मूल्यांकन किया जाना चाहिए और यदि मूल्यांकन में चारित्रिक दृष्टिï से कुछ भी संदेहास्पद पाया जाए तो ऐसे शिक्षकों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। इसमें शिक्षकों को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए क्योंकि इन संदिग्ध चरित्र वाले शिक्षकों से समूचे शिक्षक जगत को अपमानित होना पड़ता है।
-सर्वदमन पाठक

2 comments:

  1. दुनिया में सब तरह के प्राणी होते हैं ऐसो को गोली मार दो बिना सुनवाई।
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  2. तीन चार हज़ार रूपए महीने में कौन उच्च शिक्षित, संस्कारी और मेहनती इन्सान सालों साल खटेगा? शिक्षक आजकल वाही लोग बनते हैं जिनमे किसी अन्य कार्य को खोजने की मानसिक योग्यता और साधनों का अभाव रहता है, इस तरह के लोगों से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है. ये लोग देश और समाज से जो शोषण पाते हैं वाही लौटते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी नए अवसर और वेतन-भत्ते दिए जाएँ तो अच्छे व होशियार नौजवान भी इस तरफ भी आने की सोचें ...... पर तब तक......

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