मध्यप्रदेश में होने जा रहे विभिन्न नगर निकाय चुनावों मेें मतदान का अंतिम दौर 14 दिसंबर को संपन्न हो जाएगा और प्रत्याशियों की किस्मत सील हो जाएगी। चुनाव प्रचार का जितना सघन अभियान इस नगर निकाय चुनाव में देखा गया है, वह नगरीय चुनाव में शायद ही देखने मिलता है। यह चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच शक्ति प्रदर्शन जैसा प्रतीत हो रहा है और इन दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत चुनाव में झोंकी हैं। संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल इसका प्रमाण है। इतना ही नहीं, बाहुबल के जरिये भी मतदाताओं को प्रभावित करने का भरपूर प्रयास किया गया है। कई क्षेत्रों में निर्दलीय व अन्य दलों के प्रत्याशियों के रूप मेें खड़े हुए बाहुबली अथवा धनपति भी अपनी चुनावी संभावनाओं को उज्जवल बनाने के लिए बाहुबल एवं धनबल का सहारा लेने से बाज नहीं आए हैं। इधर यह भी खबर है कि मतदाताओं से परिचय पत्र न मांगने के भी निर्देश दिये गए हैं जिससे फर्जी मतदान की संभावना को बल मिला है। यह आश्चर्यजनक है कि यह सब कुछ बिना किसी खास अवरोध के किया जा रहा है। इससे यही महसूस होता है कि इसमें किसी भी कोई ऐतराज नहीं है मानो मौका लगते ही सत्ता एवं विपक्ष में बैठे तमाम दल और प्रत्याशी इस मामले में बहती गंगा में हाथ धो लेना चाहते हों। यदि इस निर्देश से फर्जी मतदान को बढ़ावा मिलता है तो यह निश्चित ही लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ होगा। दरअसल फर्जी मतदान मतदाताओं के अधिकार पर डाका ही है। जब सरकार एवं विपक्ष दोनों ही इस सिलसिले में जानबूझकर मौन हैं तो फिर सारी जिम्मेदारी मतदाताओं पर ही आ टिकती है। मतदाताओं को इस राजनीतिक साजिश को नाकामयाब करने के लिए आगे आना चाहिए और मतदान के दिन यथाशीघ्र अपने वोट का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि कोई उनके वोट को फर्जी तरीके से न डाल सके। लेकिन सिर्फ इससे ही उनका फर्ज खत्म नहीं हो जाता। उन्हें यह भी तय करना होगा कि उनका वोट ऐसे ईमानदार एवं योग्य प्रत्याशियों के पक्ष में गिरे जिनमें जनसेवा का जज्बा हो। सिर्फ महंगे प्रचार या भावनात्मक ब्लेकमेल से प्रभावित होकर वोट डालना अपने मताधिकार का दुरुपयोग ही है। यदि आप राजनीति को परिष्कृत करना चाहते हैं तो फिर शालीनता की राजनीति के हिमायतियों के पक्ष में ही अपने वोट का इस्तेमाल करें। राजनीति की विकृतियों को दूर करके ही देश-प्रदेश को आगे ले जाया जा सकता है। इसमें एक प्रमुख विकृति पुरुषवादी सोच भी भी है। राज्य एवं केंद्र सरकार ने तमाम तरह के संशोधन कर इस विकृति को दूर करने का प्रयास किया है लेकिन आप भी मतदान के जरिये इसमें अपना योगदान दे सकते हैं। आपको सिर्फ यह करना है कि आप उस प्रत्याशी के पक्ष में अपना वोट डालें जो महिलाओं के प्रति सम्मानजनक नजरिया रखता हो। आपकी यह सोच राजनीति को एक रचनात्मक दिशा मिलने में मददगार होगी। आपसे यही उम्मीद है कि आप लोकतंत्र को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए न केवल अपना वोट डालेंगे बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि आपका वोट सुयोग्य प्रत्याशी के पक्ष में ही पड़े।
-सर्वदमन पाठक
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