Tuesday, December 22, 2009

न्याय के अंजाम तक पहुंचे वसुंधरा प्रकरण

पुलिस के दावों के मुताबिक उसने फैशन टेक्नालाजी की छात्रा और बाहुबली पूर्व विधायक अशोक वीर विक्रम सिंह भैया राजा की नातिन वसुंधरा बुंदेला की मौत की गुत्थी अंतत: सुलझा ली है। प्रदेश में सनसनी फैला देने वाले इस लोमहर्षक हत्याकांड में जिन लोगों की गिरफ्तारी की गई हैं, उनमें खुद भैया राजा का नाम सबसे अधिक चौंकाने वाला है। अन्य गिरफ्तार आरोपियों में भी या तो भैयाराजा के रिश्तेदार हैं या फिर उनके नौकर। वसुंधरा बुंदेला की हत्या कई दिनों से मीडिया की सुर्खियों में है और पुलिस सूत्रों के हवाले से इस संबंध में मीडिया को जो जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं, उन्हें देखते हुए ही ये गिरफ्तारियां की गई हैं। हकीकत यह है कि पुलिस को इस संबंध में जो भी सुराग हाथ लगे थे उनके अनुसार शक की सुई भैया राजा के इर्द गिर्द ही घूम रही थी। अलबत्ता इस हाई प्रोफाइल प्रकरण में पुलिस पर राजनीतिक दबाव के जो आरोप लगाए जा रहे थे, पुलिस की कार्रवाई से फिलहाल निराधार सिद्ध हुए हैं। गृहमंत्री का यह बयान पुलिस की वस्तुपरक जांच में काफी मददगार रहा है कि बेगुनाह को बेवजह परेशान नहीं किया जाएगा लेकिन पुलिस पर इस सिलसिले में दवाब का कोई सवाल ही नहीं है। दरअसल यह सैद्धांतिक रूप से सही है कि जब तक किसी व्यक्ति पर दोष प्रमाणित न हो जाए तब तक उसे अपराधी नहीं माना जा सकता लेकिन इसके साथ ही यह भी उतना ही सच है कि जब तक अदालत किसी व्यक्ति को निर्दोष करार न दे दे तब तक उसे बेगुनाह भी नहीं माना जा सकता। भैया राजा को भी इस मामले में अपवाद नहीं माना जा सकता।जहां तक भैया राजा का सवाल है, वे छतरपुर में आतंक का पर्याय रहे हैं और उन पर हत्या सहित कई संगीन मुकदमे चल चुके हैं। यह अलग बात है कि उन पर कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया। छतरपुर में तो उनके अपराधों से जुड़े किस्से लोगों की जुबान पर हैं। खुद भैया राजा खुद को इस मामले में बेगुनाह बता रहे हैं और पुलिस पर प्रताडऩा का आरोप लगा रहे हैं लेकिन पुलिस का दावा है कि उसके पास वसुंधरा की हत्या की साजिश में शामिल होने तथा घटना से जुड़े प्रमाण नष्टï करने के सिलसिले में राजा भैया के खिलाफ पक्के सबूत हैं और इसी आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने पहले भैया राजा की नौकरानी तथा रिश्ते की एक अन्य नातिन को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की है और उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही उसने भैया राजा को गिरफ्तार किया है। हादसे से जुड़े समूचे घटनाक्रम से यह आभास अवश्य होता है कि इस मामले की जांच को राजनीतिक रूप से प्रभावित करने की कोशिशें यदा कदा चलती रही हैं। मसलन जब राजा भैया को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था तो वे यह कहकर वहां से चले गए कि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने जाना है। यह अपने आप में पुलिस पर राजनीतिक दवाब डालने का परोक्ष प्रयास ही था। उनकी पत्नी एवं भाजपा की विधायक आशा देवी ने खुद मुख्यमंत्री तथा अन्य भाजपा नेताओं से मिलकर इस मामले में भैया राजा को निर्दोष बताते हुए उनके साथ इंसाफ की मांग की। लेकिन सरकार, भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही इस मामले में दखल करने से स्पष्टï तौर पर इंकार कर स्पष्टï कर दिया है कि कानून अपना काम करेगा। खुद भैया राजा यह दावा कर रहे हैं कि वे इस मामले में निर्दोष हैं और उन्हें बेवजह फंसाया जा रहे है। यदि उन्हें अपने निर्दोष होने का भरोसा है तो उन्हें अपने राजनीतिक रसूख के बेवजह इस्तेमाल से इस आपराधिक मामले को प्रभावित करने की कोशिश करने के बदले न्याय प्रणाली पर भरोसा करना चाहिए और इस बात का इंतजार करना चाहिए कि अदालत उन्हें निर्दोष सिद्ध करे।
-सर्वदमन पाठक

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