मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों की चुनावी जंग में सबसे दिलचस्प फैसला सागर से आया है जहां महापौर पद के चुनाव में किन्नर कमला बुआ ने भाजपा तथा कांग्रेस सहित तमाम प्रत्याशियों को चारों खाने चित्त कर अपना विजय ध्वज लहरा दिया है। इस परिणाम से भाजपा एवं कांग्रेस का चकित और लज्जित होना स्वाभाविक है क्योंकि एक किन्नर के हाथों उनकी इज्जत लुट गई है। लेकिन सागर की चुनावी फिजा से वाकिफ पर्यवेक्षकों को इस परिणाम से कोई आश्चर्य नहीं हुआ है क्योंकि इन दलों से उपजी नाउम्मीदी से सागर के मतदाता इस बुरी तरह निराश एवं हताश थे और वे उन्हें ऐसा झटका देने का मन बना चुके थे जिसे भुला पाना भी इन पार्टियों के लिए मुश्किल हो। इसी रणनीति के तहत वहां से मेयर पद के लिए किन्नर प्रत्याशी खड़ी की गई और सागरवासियों उसे भरपूर वोट देकर उसकी जीत को सुनिश्चित किया। इस फैसले के जरिये सागरवासियों ने यह संदेश इन पार्टियों को दे दिया कि किन्नर उनकी अपेक्षा कहीं ज्यादा भरोसेमंद है। निश्चित ही पार्टियों के लिए यह फैसला एक अपमान के कड़वे घूंट की तरह रहा है लेकिन सागरवासियों के इस फैसले के लिए ये पार्टियां खुद ही जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने सागर के विकास के लिए वस्तुत: कुछ नहीं किया। पूर्व में यहां की राजनीति पर कांग्रेस का कब्जा था और पिछले एक दशक से तो सियासी आधार पर चुनी जाने वाली वहां की तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भाजपा का वर्चस्व है। सांसद, विधायक एवं नगरीय निकाय तक हर जगह उसी का बोलबाला नजर आता है और प्रदेश में उसी की सरकार है लेकिन सागर विकास के लिए तरसता रहा है। औद्योगिक विकास के नाम पर वहां के नेताओं ने ढेर सारे सब्जबाग सागरवासियों को दिखाए लेकिन वहां आज भी उद्योगों का नितांत अभाव है जिसकी वजह से बेइंतहा बेरोजगारी का आलम है। हालत यह है कि देश के शीर्षस्थ विश्वविद्यालयों में शुमार गौर विश्वविद्यालय बेरोजगारों की फेक्टरी में तब्दील हो गया दिखता है। वहां नगरीय सुविधाओं का तो भारी टोटा है ही, नगरीय चेतना जगाने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किया गया है और उसके लिए भाजपा एवं कांग्रेस को जवाबदेही से कतई बरी नहीं किया जा सकता। कमला जान की जीत के माध्यम से लोगों ने सिर्फ इन दलों को नकारा ही नहीं है बल्कि काफी हद तक उनके बड़बोलेपन के प्रति उपजे आक्रोश को प्रदर्शित किया है। देखना है कि अपनी इस अपमानजनक हार से सबक लेकर भाजपा और कांग्रेस पुन: जनता के प्रति अपने दायित्वों के निर्वाह का संकल्प लेती हैं या नहीं।
-सर्वदमन पाठक
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