एक पुलिसकर्मी सहित तीन लोगों को गोलियों से भून डालने की खंडवा में हुई आतंकवादी वारदात प्रदेश में आतंकवाद के पुन: सिर उठाने का संकेत है। सरकार की यह स्वीकारोक्ति भी इसका प्रमाण है कि इस घटना के पीछे आतंकवादी हाथ होने की संभावना है। यदि मीडिया की खबरों पर भरोसा किया जाए तो सिमी के कार्यकर्ताओं की धरपकड़ का बदला लेने के लिए यह कार्रवाई की गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि इस वारदात को अंजाम देने वाला आतंकवादी भाग निकला और उसे अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है। यदि कोई आतंकवादी बेगुनाहों की जान लेने के अपने नापाक मंसूबों को सरे बाजार अंजाम देकर फरार होने में सफल हो जाए तो इससे पुलिस सहित समूची सुरक्षा व्यवस्था की क्षमता तो संदेह के दायरे में आती ही है, उन लोगों के मानवीय फर्ज पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है जो घटना के वक्त वहां मौजूद थे और इस घटना के चश्मदीद गवाह थे लेकिन उन्होंने राष्टï्र के इस दुश्मन को पकडऩे का जज्बा नहीं दिखाया। राष्टï्र के प्रति अपनी निष्ठïाएं इतनी कमजोर क्यों होनी चाहिए कि आतंकवाद उस पर भारी पड़ जाए। सवाल यह भी है कि आखिर हमें अपनी सुरक्षा के लिए सिर्फ पुलिस तथा सुरक्षा बलों पर ही आश्रित क्यों रहना चाहिए। राज्य सरकार ने इस घटना के बाद संकल्प व्यक्त किया है कि इसके आरोपी को शीघ्र ही सींखचों के पीछे लाया जायेगा और इसे इसकी करनी की समुचित सजा दिलाई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि राज्य में आतंकवाद को समूल नष्टï किया जाएगा। राज्य सरकार की यह घोषणा कुछ भरोसा अवश्य दिलाती है लेकिन वास्तविकता पर नजर डालें तो यही प्रतीत होता है कि पिछले कुछ सालों में प्रदेश में आतंकवादी गतिविधियां काफी फैलती रही हैं। विशेषत: सिमी की गतिविधियों में कुछ वर्षों से काफी इजाफा हुआ है। मालवा में तो मानो आतंकवाद की फैक्टरी ही चल रही थी। इतना ही नहीं, आतंकवाद की प्रतिक्रियास्वरूप भी यहां एक तरह के उग्रवाद ने सिर उठा लिया था और सरकार इसका खात्मा करने में सफल नहीं रही। आतंकवाद के सफाये के लिए जरूरी है कि शासन प्रशासन इसके लिए पूरी ईमानदारी से अभियान चलाए और वोट बैंक की खातिर किसी भी तरह के आतंकवाद के प्रति नरम रुख न अपनाए। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार आतंकवाद के सफाये के अपने वादे पर खरी उतरेगी और प्रदेश में विकास के लिए जरूरी शांति का वातावरण बनाने में कामयाब होगी।
-सर्वदमन पाठक
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