असुरक्षित नागरिक और बेखौफ अपराधी
सर्वदमन पाठक
भोपाल के व्यस्ततम इलाकों में से एक स्टेट बैैंक चौराहे के सामने स्थित बिजली दफ्तर में कैश काउंटर पर बैठी महिला की दिन दहाड़े हत्या तथा कैश की लूट इस बात की परिचायक है कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी भयावह है। दरअसल राज्य सरकार भले ही प्रदेश में अमन चैन के कितने ही दावे करे लेकिन यह हकीकत उससे भी छिपी नहीं है कि राज्य में अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैैं। राज्य को इस असुरक्षा के माहौल में पहुंचाने के लिए राज्य की पुलिस ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है जो आए दिनों होने वाली अपराधों की गंभीर वारदातों के बावजूद अकर्मण्यता का लिहाफ ओढ़े रहती है। इस मामले में भी पुलिस का ऐसा ही संवेदनहीन रवैया देखा जा रहा है और संभवत: इसी वजह से पुलिस को अभी तक इस मामले में कोई महत्वपूर्ण सुराग हाथ नहीं लग पाया है। बिजली वितरण कंपनी ने हत्या से शोकाकुल परिवार को दो लाख से ऊपर का मुआवजा तथा मृतका का परिजनों में किसी को नौकरी देने का वादा करके उनके आंसू पोंछने की कोशिश अवश्य की है लेकिन इस हत्या से यह सिद्ध हो गया है कि वहां सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध नहीं थे। सच तो यह है कि अपने कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने में विद्युत वितरण कंपनी की नाकामयाबी के कारण ही हत्या की यह घटना घटी है। इस घटना से राजधानी की पुलिस की कार्यशैली भी संदेह के कटघरे में आ गई है क्योंकि यह हत्या जिस स्थान पर हुई वह कोहेफिजा थाने से मुश्किल से दो सौ मीटर की दूरी पर है। अपराधी इस वारदात को अंजाम देकर फरार हो गया लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। जब पुलिस थाने के अत्यंत ही करीब स्थित दफ्तर में अपराधी इतनी सनसनीखेज वारदात को अंजाम देकर आराम से बच निकलते हैैं तो फिर अन्य स्थानों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर होगी, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है।
पुलिस एवं प्रशासन की लापरवाही की यह कोई अकेली मिसाल नहीं है बल्कि राजधानी सहित संपूर्ण प्रदेश में जघन्य अपराधों की बाढ़ सी आ गई है और पुलिस के चेहरे पर शिकन तक नहीं है। पुलिस केइस निकम्मेपन को लेकर राज्य सरकार की क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैैं क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की बुनियादी जिम्मेदारी है। पुलिस की यह अमानवीय संवेदनहीनता दरअसल कई तरह के संदेह उत्पन्न करती है। पुलिस और अपराधियों की सांठगांठ कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं है। इसी वजह से कई बार काफी पुख्ता प्रमाण होने के बावजूद पुलिस संगीन जुर्म के अपराधियों के खिलाफ या तो मामला दर्ज नहीं करती और अगर उसे मजबूरन मामला दर्ज करना भी पड़ा तो इतनी कमजोर धाराएं लगाती है कि अपराधी अदालत से छूट जाते हैैं। इसकेअलावा कई बार राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर पाती हालांकि ऐसे मामले सरकार की बदनामी का सबब बनते हैैं।
अपराधों में बेतहाशा इजाफे के कारण राज्य में अमन चैन के सरकार के दावों की असलियत सामने आ गई है। इससे नागरिकों को यह महसूस हो रहा है कि वर्तमान सरकार के राज्य में उनका जीवन सुरक्षित नहीं है। राज्य में तीसरी बार सत्ता सिंहासन हासिल करने की उम्मीद कर रही सरकार के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। राज्य सरकार यदि अपनी हेट्रिक सुनिश्चित करना चाहती है तो उसे राज्य में शांति एवं सुरक्षा का वातावरण बनाना ही होगा।
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