Monday, November 9, 2009

बढ़ते अपराधों की चुनौती

यह महज संयोग है या नए गृहमंत्री को चुनौती देने की सोची समझी साजिश, इस पर विवाद हो सकता है लेकिन इस हकीकत से कोई इंकार नहीं कर सकता कि उमाशंकर गुप्ता के गृहमंत्री के रूप से शपथ लेने के बाद से ही भोपाल मेें अपराधों की बाढ़ सी आ गई है। बजरंग दल नेता की हत्या, पंचशील नगर के बदमाशों के बीच ताजा हिंसक झड़प और मुफ्ती के बेटे पर फायरिंग तो सिर्फ इसकी बानगी मात्र हैं। कहा जा सकता है कि अपराधियों के हौसले तो कई सालों से बुलंद हैं और अंधाधुंध अपराधों का सिलसिला इसी का प्रतिफल है, जिसे रातों रात बंद नहीं किया जा सकता। लेकिन इस बात की क्या दलील है कि भोपाल में अपराध अचानक ही बढ़ क्यों गए हैं। इस मामले में श्री गुप्ता की जवाबदेही इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि वे भोपाल की सरजमीं पर पले बढ़े नेता हैं और उन्हें भोपाल के बाशिंदों ने चुनकर विधानसभा में भेजा है। वे भोपाल की नस नस से वाकिफ हैं और उन्हें उन तमाम कारणों और कारकों की जानकारी है जो भोपाल को अपराधियों की शरणस्थली के रूप में तब्दील करने के लिए जिम्मेदार हैं। इसी वजह से भोपालवासियों को यह उम्मीद होना स्वाभाविक है कि श्री गुप्ता के हाथों में गृह मंत्रालय का भार आने के बाद इस शहर में अमन चैन कायम हो सकेगा। शहर में अपराधों में इजाफे से उनकी इन उम्मीदों को झटका लगा है। प्रशासन की इस असफलता का ठीकरा कांग्रेस ने श्री गुप्ता के सिर पर फोडऩे की कोशिश करते हुए उनके बंगले में ही अपराधियों के छिपे होने का सनसनीखेज आरोप लगा दिया है। हालांकि यह आरोप बेबुनियाद सिद्ध हो गया है लेकिन इससे यह संकेत तो मिल ही गया है कि यदि भोपाल में अपराधियों एवं अपराध पर जल्दी से जल्दी शिकंजा नहीं कसा गया तो फिर इस मामले में सियासत का खेल और भी नीचे गिर सकता है। दरअसल नए गृहमंत्री को अपराधियों द्वारा दी जा रही चुनौती को स्वीकार कर उनपर शिकंजा कसने की चौतरफा मोर्चेबंदी करनी चाहिए। इसके लिए पुलिस को तो सख्त से सख्त से कार्रवाई के निर्देश दिये ही जाना चाहिए लेकिन इसके साथ ही दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुए यह स्पष्टï संदेश देना चाहिए कि इन अपराधियों को कोई भी राजनीतिक संरक्षण बचा नहीं पाएगा।
सच तो यह है कि न केवल भोपाल बल्कि संपूर्ण प्रदेश में जघन्य अपराधों का ग्राफ काफी बढ़ा है और इस वजह से लोगों का सुख चैन छिन गया है। उन्हें अपने जीवन पर असुरक्षा की छाया मंडराती दिख रही है। इतना ही नहीं, प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए भी शांति पहली शर्त है। प्रदेश के नागरिकों को सुरक्षा एवं शांति का विश्वास दिलाना और औद्योगिक विकास के लिए शांति का माहौल पैदा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और अब इस दायित्व की बागडोर श्री गुप्ता के हाथों में है। उम्मीद की जानी चाहिए कि वे लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे और प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था का राज पुन: कायम करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

-सर्वदमन पाठक

No comments:

Post a Comment