ग्वालियर हवाई अड्डे पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का विमान उतरने के ठीक पहले जो भयावह गफलत हुई, वह लापरवाही की पराकाष्ठïा ही कही जा सकती है। इस सनसनीखेज वाकये के अनुसार विमानतल पर विमान की लैंडिंग के ठीक पहले वहां वायुसेना के दो वाहन आ गए जिसके कारण एकबारगी तो महामहिम एवं मुख्यमंत्री की सुरक्षा दांव पर लग गई थी। इस सिलसिले में विमान के पायलट की प्रत्युत्पन्नमति की तारीफ करनी होगी जिसने रनवे के पास वाहनों को देखते ही विमान उतारने के बजाय उठा दिया और कुछ समय तक हवा में उड़ाने के बाद सुरक्षित तरीके से उसे रनवे पर उतार दिया। वायुसेनाध्यक्ष का कहना है कि उस वक्त रनवे पर दो कुत्ते कहीं से आ गए थे और उनके हटाने के लिए ये वाहन वहां पहुंचे थे। यह बात अभी रहस्य ही बनी हुई है कि आखिर इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद रनवे पर ये कुत्ते कहां से आ गए लेकिन यह कोई रहस्य नहीं है कि इस खबर के आने के बाद काफी समय तक शासन- प्रशासन सांसत में रहा और प्रदेश के नागरिकों के माथे पर ंिचंता की लकीरें खिंची रहीं। सुरक्षा में भयावह चूक के इस मामले की गंभीरता इस बात से और बढ़ जाती है कि राष्टï्रपति प्रतिभा पाटिल वायुसेना के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वहां पहुंचने वाली थी और इस घटना के कुछ ही देर बाद राष्टï्रपति का विमान इसी विमानतल पर उतरने वाला था। सवाल यह है कि एयर ट्रेफिक कंट्रोल द्वारा अनुमति दिये जाने के बाद ही राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री का विमान वहां उतर रहा था तो फिर उस दौरान रनवे खाली क्यों नहीं रखा गया और सुरक्षा सुनिश्चित क्यों नहीं की गई। चूंकि विमानों में महत्वपूर्ण हस्तियों के सफर करने के कारण उनकी सुरक्षा के लिए सुरक्षा की दोषरहित व्यवस्था होती है तब इतनी भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद वहां ऐन वक्त पर कुत्ते आ जाना आश्चर्यजनक ही है। इस घटना की भयावहता को देखते हुए राज्य सरकार ने जो सख्त रुख अपनाया, वह उचित ही है क्योंकि यह राज्य के संवैधानिक प्रमुख और सरकार के मुखिया की सुरक्षा में चूक से जुड़ा मामला है। दरअसल इस घटना के लिए सरसरी तौर पर वायुसेना तथा एयर ट्रेफिक कंट्रोल सीधे तौर पर जवाबदेह हैं अत: उन्हें राज्य सरकार के प्रमुख सचिव द्वारा उठाए गए मुद्दों के साथ ही तमाम उन पहलुओं की जांच करनी चाहिए जो इससे जुड़े हो सकते हैं। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस जांच की रिपोर्ट में दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर समुचित कार्रवाई हो ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।
-सर्वदमन पाठक
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