नक्सलवाद पर अंकुश जरूरी
आंध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र में कहर बरपा कर देने वाले लाल आतंक नक्सलवाद ने अब मध्यप्रदेश में भी अपनी दस्तक दे दी है। बालाघाट जिले में 50 नक्सलवादियों के दाखिल होने की खबर इसका स्पष्टï संकेत है। यह खबर कोई कागजी अनुमान पर नहीं बल्कि पुलिस को मिले निश्चित सुराग पर आधारित है। इससे यह शक पुख्ता होता जा रहा है कि मध्यप्रदेश जो काफी पहले से नक्सलवादियों के रोडमेप में था, अब उनके ठिकानों में तब्दील होने जा रहा है। स्वाभाविक रूप से ये नक्सलवादी छत्तीसगढ़ तथा पड़ौसी राज्यों में सख्ती बरते जाने के बाद बालाघाट में घुसपैठ कर चुके हैं। वैसे मध्यप्रदेश में नक्सलवादियों की हलचल पहली बार नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ तथा महाराष्टï्र के नक्सल प्रभावित इलाके से सटा होने के कारण बालाघाट में जब तब नक्सलवादियों की हलचलों की जानकारी मिलती रही है। कुछ माह पूर्व ही ऐसे समाचार मिले थे कि नक्सलवादी इन क्षेत्रों के बैठकें लेकर उन्हें अपने रंग में रंगने की कोशिश कर रहे हैं। जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सलवादियों द्वारा आगजनी तथा हिंसा की छुटपुट खबरें तो कई बार सुनी गई हैं लेकिन इन पर प्रशासन ने उतनी तवज्जो नहीं दी जितनी कि अपेक्षित थी। दरअसल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के शासनकाल में उनके आतंक को शासन-प्रशासन काफी हद तक नजरंदाज करता रहा। उनके खिलाफ जो भी कार्रवाई उस समय की गई, वह महज औपचारिकता ही थी। इसका परिणाम यह हुआ कि उनके हौसले बुलंद होते गये और इसकी परिणति राज्य के मंत्री लिखीराम कांवरे की हत्या जैसी भयावह वारदात में हुई। इसके बाद सरकार को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने नक्सलवाद के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किया। यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद नक्सलवाद को पूरी तरह काबू करने में असफल रही है और उसका सबसे बड़ा कारण यही है कि आम तौर पर वे ग्रामीणों तथा आदिवासियों के शोषण के खिलाफ संघर्ष की बात करके उन्हें भरोसे में ले लेते हैं और ये उनकी ढाल बन जाते हैं। संभव है कि पहले कभी नक्सलवाद सरकारी अफसरों एवं जमींदारों के शोषण के खात्मे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सशस्त्र संघर्ष का जरिया रहा हो, हालांकि यह भी लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है, लेकिन अब तो इसमें अपराधी तत्वों का समावेश हो गया है और यह आतंक फैलाकर जबरिया वसूली करने के साथ ही तमाम तरह के अपराधियों के शरणस्थल के रूप में तब्दील हो गया है। भोपाल में कुछ साल पहले जिन नक्सलवादियों की धरपकड़ की गई थी, उनके पास से बरामद दस्तावेज से बंदूक बनाने की फेक्टरी के सबूत मिले थे। मध्यप्रदेश में अभी हाल ही में शहडोल में कुछ नक्सलवादियों को गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने प्रदेश में नक्सलवादी गतिविधियों के बारे में कुछ सुराग भी दिये थे। हो सकता है कि नक्सलवादियों की बालाघाट में घुसपैठ प्रदेश में नक्सलवाद के विस्तार की उनकी रणनीति का ही एक हिस्सा हो। इस संभावना के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा एक सुविचारित रणनीति के तहत नक्सलवाद पर अंकुश लगाने की मुहिम छेड़ी जाए। नक्सलवाद पर शिकंजा कसने केेेेेे लिए राज्यों के साथ मिलकर केंद्र द्वारा छेड़ी जाने वाली संयुक्त कार्रवाई में मध्यप्रदेश भी हिस्सेदारी के लिए पहल करे तो इस दिशा में एक सार्थक कदम होगा।
-सर्वदमन पाठक
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