Wednesday, October 7, 2009

आंसुओं पर राजनीति

भोपाल में अपनी उपेक्षा से दुखी विश्व ख्यातिलब्ध धाविका पीटी उषा के आंसुओं से उठे सैलाब ने राष्टï्रीय ओपन एथलेटिक्स के आयोजन के पहले ही इसकी रंगत फीकी कर दी है। प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के जरिये इस सनसनीखेज खबर के प्रसारित होने के साथ ही जब उषा के साथ हुए दुव्र्यहार पर चारों ओर आलोचना के स्वर तेज होने लगे तब कहीं जाकर प्रदेश सरकार को सुध आई और लोकनिर्माण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें मनाकर जहांनुमा होटल में ससम्मान ठहराया। उषा को सबसे बड़ी शिकायत यही थी कि साई के कार्यक्रम में भाग लेने आई इस प्रतिष्ठिïत धाविका को हवाई अड्डï्े पर कोई भी साई अधिकारी लेने नहीं आया और साई होस्टल पहुंचने पर भी उसे कोई तवज्जो नहीं दी गई। इसके लिए बहाना बनाया जा रहा है कि साई को उषा के आने की कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन यह बहाना साई के माथे पर लगे कलंक को धोने में सक्षम नहीं है। अब इस समूचे घटनाक्रम पर राजनीति शुरू हो गई है जो इस घटना से ज्यादा शर्मनाक है। राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को तो इस घटना के रूप में ऐसा मोहरा हाथ लग गया है जिसके जरिये एक दूसरे पर सियासी हमले बोले जा रहे हैं। केंद्रीय खेल मंत्री श्री गिल जहां इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जवाबदारी राज्य सरकार पर डालकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ रहे हैं तो राज्य सरकार इसे साई की असफलता के रूप में पेश कर यह दर्शाने की कोशिश कर रही है कि वह तो इस मामले में दूध की धुली है और सारा दोष इस केंद्रीय संस्था साई का ही है। सबसे अधिक आश्चर्य तो इस बात का है कि एक वर्ग द्वारा इसका ठीकरा पीटी उषा पर फोड़ते हुए उन्हें ही इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यह वर्ग यही सिद्ध करने में अपनी पूरी ताकत लगा रहा है कि हर कार्यक्रम में व्यवस्था का रोना रोना पीटी उषा की आदत बन गई है और भोपाल में उसका व्यवहार इसी का परिचायक है। संभव है कि उषा व्यवस्था को लेकर कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हों और उनकी यह संवेदनशीलता विभिन्न अवसरों पर प्रदर्शित हुई हो लेकिन इससे उनकी उपेक्षा का अपराध तो छोटा नहीं हो जाता। यदि भारत को अंतर्राष्टï्रीय खेलकूद प्रतियोगिताओं में सबसे अधिक पदक दिलाने वाली इस एथलीट को स्वागत को लेकर कुछ पीड़ा है तो इसे हीन मानसिकता के साथ नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि इससे राज्य सरकार या साई को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। अभी तक हुई गलतियों का परिष्कार करते हुए उषा के समुचित स्वागत सत्कार की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि उनके गिले शिकवे दूर हो जाएं और आइंदा यह संकल्प लिया जाना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की चूक नहीं दोहराई जाएगी। इसके साथ ही दोषी अधिकारियों पर समुचित कार्रवाई भी की जानी चाहिए।
सर्वदमन पाठक

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