Friday, January 8, 2010

कही -अनकही

क्या कहते हैं अमर सिंह
मैंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से समाजवादी पार्टी के तमाम पदों से इस्तीफा दे दिया है और इसमें कोई राजनीति नहीं है। दरअसल लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रचार कर मैंने गलती की है, मैंने अपने ही जीवन से खिलवाड़ किया है। अब मैं तनावमुक्त जीवन जीना चाहता हूं। मैं अब इस्तीफा वापिसी का मुलायम सिंह का अनुरोध नहीं मानूंगा।
क्या कहना चाहते हैं वे?
समाजवादी पार्टी पर मुलायम सिंह के परिजनों का कब्जा तथा उनके इशारे पर पार्टी में हो रहा अपमान उनके लिए असहनीय है और वे किसी भी हालत में अपने इस अपमान को बर्दाश्त करने वाले नहीं है। यह इस्तीफा इसी की अभिव्यक्ति है। अब गेंद मुलायम सिंह के पाले में है। वैसे उन्होंने यह घोषणा अवश्य की है कि वे इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। लेकिन पहले की तरह वे एक बार फिर अपना इस्तीफा वापस से सकते हैं बशर्ते कि पार्टी में मुलायम सिंह यादव अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उनका सम्मान बहाल कर सकें।
क्या कहते हंै लोग?
दरअसल देश की राजनीति में अमर ंिसंह को गंभीरता से नहीं लिया जाता। इतने लंबे राजनीतिक जीवन के बाद भी जन नेता के रूप में उनकी कोई पहचान नहीं है बल्कि उनके विरोधी तो उन पर राजनीतिक दलाल होने का आरोप लगाते नहीं थकते। समाजवादी पार्टी में भी उनकी भूमिका पूंजीपतियों और पार्टी के बीच सेतु की ही रही है और इसके कारण पार्टी का समाजवादी चरित्र भी काफी हद तक शिथिल हुआ है। पार्टी के वर्तमान हालात के लिए इसे भी कम जिम्मेदार नहीं माना जा सकता। राज बब्बर, आजम खां एवं बेनी प्रसाद वर्मा जैसे कद्दावर नेता भी अमर सिंह के कारण ही पार्टी छोडऩे पर मजबूर हुए। इसके साथ ही यह भी सच है कि पार्टी पर इन दिनों मुलायम सिंह यादव के परिजनों का ही कब्जा हो गया है जो अमर सिंह के तौर तरीकों को पसंद नहीं करते। इसी वजह से पार्टी में उनके रसूख में भारी गिरावट आई है। अमर सिंह का इस्तीफा उनकी प्रेशर टेक्टिक्स का ही हिस्सा हो सकता है ताकि पार्टी में वे पुनप्र्रतिष्ठिïत हो सकें। मुलायम सिंह का उनके प्रति जो साफ्ट कार्नर है उसे देखते हुए एक बार फिर उनकी यह चाल कामयाब हो सकती है बशर्ते कि उनमें परिवार-मोह जुनून की हद तक न पहुंच गया हो।
-सर्वदमन पाठक

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