करोंद मंडी मेें दुकानों के लिए प्लाटों की नीलामी को लेकर व्यापारियों में सुलग रही असंतोष की आग आखिर सोमवार को भड़क ही उठी। नीलामी को लेकर व्यापारियों की हड़ताल के दौरान हुए पथराव और पुलिस लाठीचार्ज से समूचे मंडी क्षेत्र तथा उसके आसपास के क्षेत्रों में जबर्दस्त अफरातफरी मच गई। व्यापारियों में इस भेदभावपूर्ण नीलामी को लेकर कितना गुस्सा था, इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने दो दर्जन दोपहिया वाहनों तथा कई चार पहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया, इतना ही नहीं, सरकार के प्रतिनिधि के रूप में वहां पहुंचे पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष बाबूलाल भानपुरा पर भी अपना गुस्सा निकालते हुए उनके ऊपर पथराव किया गया और उनकी कार को आग लगा दी गई। इस आक्रोश की आंच से पुलिसकर्मी भी नहीं बचे जिनमें से एक तो गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दरअसल इसे प्रशासनिक विवेकहीनता की पराकाष्ठïा ही कहा जा सकता है जिसकी परिणति इस व्यापक हंगामे में हुई। आखिर ऐसा क्या कारण था कि प्रशासन ने अनाज व्यापारियों के लिए तो प्लाट की कीमत 22 रुपए प्रति वर्गफुट तय की लेकिन सब्जी व्यापारियों के लिए यह कीमत 251 रुपए प्रति वर्गफुट तय की गई। प्रशासन की दलील है कि अनाज व्यापारियों को प्लाटों की नीलामी एवं सब्जी व्यापारियों को प्लाटों की नीलामी के बीच के अंतराल में इनका बाजार मूल्य काफी बढ़ गया है। सवाल यह उठता है कि प्रशासन ने दोनों ही वर्ग के व्यापारियों के लिए पहले ही सुनियोजित तरीके से एक साथ नीलामी कराने का फैसला क्यों नहीं लिया और साथ साथ यह नीलामी क्यों नहीं कराई ताकि दोनों व्यापारियों को कम रेट पर प्लाट उपलब्ध हो जाते। प्लाटों की नीलामी में एक ओर तो उनकी क्षमता का ध्यान नहीं रखा गया और दूसरी ओर अब उनके स्वाभाविक दावे की अनदेखी की जा रही है। व्यापारियों का दावा है कि प्रशासन ने यह चाल कुछ बाहरी व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए चली है। अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि यह नीलामी सिर्फ वर्तमान सब्जी व्यापारियों तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें बेरोजगारों तथा अन्य लोगों को भी नीलामी में लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में शर्तें भी इतनी सख्त कर दी गई हैं कि उनकी व्यावहारिकता पर सवालिया निशान लग गया है। संभवत: अन्य लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए ही प्रशासन ने इतने हठ का परिचय दिया कि यह जानते हुए भी कि व्यापारी काफी गुस्से में हैं और इस मामले में आरपार के संघर्ष का मन बना चुके हैं, उसने हंगामे के पहले नीलामी रोकने की समझदारी नहीं दिखाई। सरकार को इस हंगामे से कुछ सबक सीखना चाहिए और अपनी हठधर्मिता छोड़कर सब्जी व्यापारियों का विश्वास हासिल करना चाहिए तभी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए अन्यथा किसी भी अनहोनी की पूरी जिम्मेदारी उसी पर होगी।
-सर्वदमन पाठक
narayan narayan
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