मध्यप्रदेश के सभी नगर निगम क्षेत्रों में नागरिकों का कर्तव्य चार्टर लागू किये जाने की पहल इस बात का प्रमाण है कि शिवराज सरकार तमाम राजनीतिक दबाव के बावजूद इन बड़े नगरों में नगरीय चेतना विकसित करने के प्रति संकल्पबद्ध है। नगरों के बिगड़ते माहौल के कारण आज यह जरूरी हो गया है कि लोग एक नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारी का अहसास करें और इस चार्टर के जरिये यह उद्देश्य पूरा हो सकता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जितनी तेजी से शहरों का औद्योगीकरण हो रहा है, उतनी ही तेजी से ग्र्रामों से शहरों की ओर जनसंख्या का स्थानांतरण भी हो रहा है। एक ओर तो उद्योगों में तेजी से हो रहे इजाफे से शहरों का पर्यावरण बिगड़ रहा है और दूसरी ओर शहरी आबादी पर ग्र्रामीण आबादी के बढ़ते दबाव के कारण शहरों में गुणात्मक परिवर्तन भी आ रहा है। ग्र्रामों में ऐसी कई सुविधाओं का अभाव होता है, जिनके बिना शहरों का काम ही नहीं चल सकता। ग्र्रामों में गगनचुंबी अïट्टालिकाएं नहीं होतीं, आबादी का घनत्व काफी कम होता है और खुली जगह काफी ज्यादा होती है जिसके कारण वे सीमित जगह में अपनी गुजर बसर नहीं कर सकते। उनकी जीवन शैली भी ऐसे ही वातावरण से तादात्म्य स्थापित कर लेती है लेकिन शहरों में आने पर उन्हें बिल्कुल ही अलग परिस्थितियों से रूबरू होना पड़ता है। इन परिस्थितियों में खुद को ढालने की चुनौती उनके सामने होती है। एक वर्ग अवश्य ही ऐसा होता है जो अपने को शहरों के अनुरूप ढाल लेता है लेकिन इन स्थानांतरित लोगों की एक बड़ी आबादी इतनी जल्दी एवं इतनी कुशलता से नई परिस्थितियों के अनुरूप नहीं ढल पाती जिसके कारण शहरों में एक तरह का असंतुलन उत्पन्न हो जाता है। नगरीय चेतना का यह अभाव शहरों में सांस्कृतिक विकृतियों को जन्म देता है। यातायात एवं परिवहन नियमों की अनदेखी शहर की एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा अस्वच्छता भी शहरों की एक बड़ी समस्या है। दरअसल शहरों की आबादी लगातार बढऩे से इतने बड़े पैमाने पर वेस्टेज निकलता है कि धीरे धीरे शहर गंदगी के ढेर में तब्दील होते जा रहे हैैं। अत: शहरों में स्वच्छता के लिए सख्त प्रावधान वक्त का तकाजा है। उक्त चार्टर में अस्वच्छता पर जो दंड के प्रावधान किये जा रहे हैैं, वे इसी उद्देश्य से प्रेरित हैैं। इस दृष्टि से यह एक प्रशंसनीय पहल है लेकिन इसमें कुछ प्रावधान ऐसे भी हैैं जिनसे यह संकेत मिलता है कि नगर निगमों की कई जिम्मेदारियों को भी नागरिकों के सिर मढ़ा जा रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि लोगों में नगरीय चेतना जगाने में यह चार्टर मील का पत्थर साबित होगा और लोग शहरों को स्वच्छ एवं सेहतमंद बनाने के लिए खुद इस चार्टर का समर्थन करेंगे लेकिन इसे नगर निगमों की जवाबदेही को शिथिल करने का बहाना नहीं माना चाहिए ताकि इसकी सार्थकता का लोगों को अहसास हो सके।
-सर्वदमन पाठक
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