मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आजकल हाकी-प्रेम में गिरफ्तार हैं। अभी चंद दिन पहले ही राष्टï्रीय हाकी में खिलाडिय़ों के बगावती तेवर से उमड़े संकट को दूर करने के लिए उन्होंने आर्थिक मदद की पेशकश की थी और अब महिला हाकी खिलाडिय़ों की नाराजी ने उन्हें फिर मदद का मौका उपलब्ध करा दिया है। उन्होंने भी इसका फायदा उठाते हुए अब महिला हाकी टीम के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा कर दी है। कभी राष्टï्रीय खेल के रूप में प्रतिष्ठिïत हाकी के पुनरुद्धार की यह पहल निश्चित ही काबिले तारीफ है और इसके लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी जानी चाहिए। सच तो यह है कि क्रिकेट की चमक दमक और उसकी आक्रामक मार्केटिंग के सामने देश में अन्य खेलों की पूछ परख कम हो गई है। इस तथ्य का प्रमाण यह है कि जहां क्रिकेट खिलाड़ी करोड़ों और अरबों में खेल रहे हैं वहीं हाकी खिलाडिय़ों को अपनेे वेतन तथा भत्ते को लेकर शिविर के बहिष्कार जैसा अतिरेकपूर्ण कदम उठाने को विवश होना पड़ रहा है। हाकी इंडिया के पदाधिकारियों का व्यवहार हालात को और भयावह बना रहा है। यह तो कलमाडी की समझदारी तथा मध्यप्रदेश सहित कई सरकारों एवं कारपोरेट घरानों के सहायता के आफर का कमाल था कि खिलाडिय़ों के तेवर नरम पड़े और खिलाड़ी कामनवेल्थ खेल के शिविर में शामिल होने को तैयार हो गए। अब महिला हाकी खिलाडिय़ों की बगावत पर भी शिवराज सिंह का दिल पिघल गया है और उन्होंने मदद की पेशकश कर दी है। मध्यप्रदेश को शिवराज की इन पेशकश के कारण देश में जो वाहवाही मिल रही है, वह भी इस अच्छी सोच का ही प्रतिसाद कहा जा सकता है। कलमाडी पूर्व में शिवराज ंिसंह को हाकी के सहायता की पेशकश के लिए धन्यवाद दे चुके हैं। लोगों की अपेक्षा है कि शिवराज ंिसंह अब इस मामले में जुबानी जमाखर्च से आगे बढ़ें और इस सहायता की पेशकश को ठोस रूप प्रदान करें तो शायद उन्हें लोगों की ज्यादा दुआएं मिलेंगी। चर्चा यह है कि मायावती सहित विभिन्न सरकारों एवं कारपोरेट घरानों ने अपनी सहायता राशि के चैक भी हाकी इंडिया को दे दिये हैं लेकिन मध्यप्रदेश का सहायता राशि का चेक हाकी इंडिया तक नहीं पहुंच पाया है। शिवराज सरकार यदि वास्तव में यह चाहती है कि देश की हाकी एक बार विश्व में अपनी साख कायम करे और पुन: हाकी का स्वर्णयुग लौटे तो वह इस दिशा मेें अपनी भूमिका अदा करते हुए यह सुनिश्चित करे कि सहायता राशि का चेक शीघ्रातिशीघ्र जारी हो और हाकी इंडिया तक पहुंच जाए ताकि वह अपने खिलाडिय़ों से किये गए वेतन तथा भत्ते संबंधी वायदों को पूरा कर सके। इसके साथ ही शिवराज सिंह भोपाल की हाकी के भी उन्नयन के लिए इसमें दखल करें। हमारे उपमहाद्वीप में भोपाली शैली की हाकी खेली जाती है लेकिन हाकी के मक्का कहे जाने भोपाल में सिर्फ सियासत के कारण यह खेल ह्रïास की ओर है। यदि भोपाल की हाकी का उद्धार किया जाना है तो इसके लिए सबसे पहले हाकी में चलने वाली क्षुद्र सियासत को रोकना वक्त का तकाजा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री इस मामले में भी अपनी भूमिका निभाएंगे।
-सर्वदमन पाठक
No comments:
Post a Comment